होलिका की धधकती आग से पांचवीं बार निकला मोनू पंडा
मथुरा (आरएनआई) ब्रज में बसंत पंचमी से शुरू होकर 40 दिन तक चलने वाली होली में तरह-तरह के रंग दिखाई देते हैं। ब्रज में कहीं लड्डू से होली खेली जाती है तो कहीं अबीर गुलाल से। तो कहीं लाठियो से तो कहीं फूलों से होली खेलने की परंपरा है। 40 दिन तक अलग-अलग जगह मनाई जाने वाली होली के बीच होलिका दहन के दिन फालैन गांव में भी अनोखी होली मनाई जाने की परंपरा है। यहां एक बार फिर मोनू पंडा प्राचीन परंपरा को निभाते हुए जलती हुई होलिका की ऊंची-ऊंची लपटों से निकला और सभी को आश्चर्यचकित कर दिया।
मथुरा के कोसीकलां से 7 किमी दूर स्थित गांव फालैन को भक्त प्रह्लाद की नगरी के नाम से भी कहा जाता है। यहां होलिका दहन के दिन पारंपरिक परंपरा को निभाते हुए मोनू पंडा जलती आग में से निकलता है, जिसे देखने के लिए दूरदराज से लाखों श्रद्धालु होलिका स्थल पर पहुंचते है। सोमवार की सुबह प्राचीन परंपरा को निभाने के लिए एक महीने से घर परिवार त्याग कर जप तप पर बैठा मोनू पंडा अपने पुरोहित के द्वारा मंत्रों के साथ भक्त प्रह्लाद के मंदिर में हवन पूजन करता दिखाई दिया। जिसके दर्शन करने के लिए मंदिर में लाखों श्रद्धालु नजर आए।
जैसे जैसे मंदिर में प्रज्वलित अग्नि की तपन ठंडी होती गयी। तभी मोनू पंडा प्रह्लाद कुंड में स्नान करने के लिए निकला और स्नान करने के बाद मोनू पंडा होलीका की ऊंची-ऊंची लपटों के बीच से होकर गुजर गया। मोनू पंडा की इस तपस्या को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्द्धालु यहां पहुंचते हैं। मोनू पंडा के पांचवी बार आग में से निकलने के साथ ही एक बार फिर प्राचीन परंपरा जीवंत हो गई।
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