हैरान हूं इस बात से तुम कौन हो क्या हो, हाथ आओ तो बुत हाथ न आओ तो ख़ुदा हो... - जयवर्धन सिंह
चाँदशाह वली उर्स में जयवर्धन सिंह ने लूटी महफ़िल, साम्प्रदायिक सद्भाव का संदेश देते है ऐसे आयोजन
![हैरान हूं इस बात से तुम कौन हो क्या हो, हाथ आओ तो बुत हाथ न आओ तो ख़ुदा हो... - जयवर्धन सिंह](https://www.rni.news/uploads/images/202306/image_870x_64806bd8ee7cb.jpg)
राघौगढ़। शहर में हजरत चंदशाहवली रहमतुल्लाह की याद में 60 वाँ सार्वजनिक उर्स भव्य आयोजन के साथ सम्पन्न हुआ। अहमदाबाद से आए देश के मशहूर कव्वाल अनीस नवाब और दिल्ली से आईं सुप्रसिद्ध कव्वाला सनम साहिबा ने महफ़िल में ऐसा समां बाँधा की हज़ारों की तादाद में श्रद्धालु देर रात तक अपनी जगह से हिल भी नहीं सके। लगभग चार साल से कोरोना काल के बाद से ही सार्वजनिक उर्स कार्यक्रम नही हो सका था। एक बार फिर वही पुरानी महफ़िल जमने के बाद केवल राघौगढ़ ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से भी भारी मात्रा में श्रद्धालु राघौगढ़ अपने पसंदीदा कव्वालों की प्रस्तुतियां सुनने पहुंचे थे। शब्बीर मंसूरी की सदारत में उर्स आयोजन समिति ने 15 दिन पूर्व से ही इस बड़े आयोजन की तैयारियां शुरू कर दी थीं।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मप्र शासन के पूर्व कैबिनेट मंत्री और राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह विशेष रूप से मौजूद थे उनके साथ नगरपालिका अध्यक्ष विजय साहू, नरेंद्र लाहोटी, पुरुषोत्तम शर्मा, राहुल वत्स, हाजी डॉ खलील अहमद पठान, अशफाक मंसूरी, सदर ताहिर खान, हमीद खान मंसूरी, डॉ इदरीस पठान, सहित गुना राजगढ़ कुंभराज, ब्यावरा, छबड़ा कोटा अशोकनगर शिवपुरी आदि शहरों से भारी तादाद में श्रद्धालु पहुंचे थे।
कार्यक्रम में जब ईश्वर को पुकारते हुए अनीस नवाब ने ये पंक्तियाँ पढ़ीं...
फ़लसफ़ी को बहस के अंदर खुदा मिलता नहीं
डोर को सुलझा रहा है और सिरा मिलता नहीं
मिलते नहीं हो, सामने आते नहीं हो तुम
जलवा दिखा के, जलवा दिखाते नहीं हो तुम
गैरो हरम के झगडे मिटाते नहीं हो, तुम
जो असल बात है वो बताते नहीं हो, तुम
हैरान हूँ मेरे दिल में समाये हो किस तरह
हालाँकि दो जहाँ में समाते नहीं हो, तुम
ये महा बदो हरम ये खलिसा ओ देर क्यों
हरजाई हो, तभी तो बताते नहीं हो तुम
तुम एक गोरखधंधा हो
तो जनता श्रद्धाभाव से झूम उठी।
प्रसिद्ध कव्वाल अनीस नवाब ने जयवर्धन सिंह की सादगी पर हैरत जताते हुए कहा कि मैंने हिंदुस्तान में सब कुछ देखा है लेकिन ऐसा राजा पहली बार देखा है जो आवाम के बीच मे उन्हीं के साथ बैठा है। जब जयवर्धन को सम्बोधित करते हुए अनीस ने कहा कि
छोटे बड़े लोगों से मुहब्बत करते हो,
बाबा साहब दिल मे हुकूमत करते हो तो जनता झूम उठी।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद पूर्व कैबिनेट मंदिर जयवर्धन ने कव्वाल अनीस नवाब और सनम साहिबा की प्रस्तुतियों की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि इनकी फैन फ़ॉलोईग्स बहुत गज़ब की है। इनकी कला के दीवाने इन्हें सुनने के लिए दूर दूर से आते हैं। राघौगढ़ में भी आपकी कव्वालियों की दीवानगी यहां की जनता में देखने मिली। उन्होंने दोनों प्रसिद्ध कव्वालों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जितना पुराना राघौगढ़ किला है उतनी ही पुरानी चाँदशाहवली दरगाह भी है पीढ़ियों से भाईचारे का सम्बंध है। लगभग 4 साल से यहां उर्स का बड़ा आयोजन नहीं हो सका था। आज पुनः वही पुरानी भक्ति की महफ़िल जमी इससे लोगों में बहुत प्रसन्नता है। जयवर्धन ने आशा जताई कि वर्ष भर में एक कार्यक्रम इसी प्रकार भक्ति भाव से हो। जयवर्धन ने इसकी विशेषता बताते हुए कहा कि कव्वाली में बात ईश्वर की होती है, भक्ति की होती है, प्रार्थना होती है, साम्प्रदायिक सद्भाव की होती है आपसी भाईचारे की होती है। अंत मे जयवर्धन ने वहां उपस्थित जनता की फरमाइश पर नुसरत फतेह अली खान की ईश्वर भक्ति के लिए प्रसिद्द मशहूर कव्वाली की चंद पंक्ति पढ़ते हुए परमपिता परमेश्वर को सम्बोधित कहा कि
हैरान हूं इस बात से तुम कौन हो क्या हो,
हाथ आओ तो बुत हाथ न आओ तो ख़ुदा हो...
जिस पर वहां मौजूद पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
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