हेडमास्टर के फर्जी हस्ताक्षर कर तीन माह का सीसीएल करा लिया स्वीकृत
हेडमास्टर बोले-स्कूल की जानकरी भेजने के नाम पर मुझसे सील ले गई थी मैडम
गुना। अजीबोगरीब कारनामों के लिए प्रसिद्ध गुना का शिक्षा विभाग फिर चर्चाओं में हैं। दरअसल मामला यह है कि बमोरी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत विकासखंड गुना के जन शिक्षा केंद्र शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मारकी महू के सीएसी मनोज भदौरिया से संबंधित है। मनोज भदोरिया की धर्मपत्नी नीतू भदोरिया प्राथमिक शिक्षक हैं। जो शासकीय प्राथमिक विद्यालय सहराना मारकी महू में पदस्थ हैं। नीतू भदौरिया के पति सीएसी मनोज भदोरिया है। जिनके के कार्य क्षेत्र मारकी महू क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 40 विद्यालयो के अधीन सहराना स्कूल में नीतू भदोरिया पदस्थ है। दरअसल मामला इस प्रकार है कि वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल की कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं संचालित हो रही और कई शिक्षकों की ड्यूटी मनोज भदोरिया द्वारा परीक्षा संपादित करने में लगाई हुई है। परंतु उनकी धर्मपत्नी नीतू भदोरिया की कोई ड्यूटी नहीं लगी। तो इस मामले की भनक सोशल मीडिया मे वायरल ड्यूटी आदेश पत्रो के माध्यम से शिक्षा जगत को प्राप्त हुई। तो एक अजीबोगरीब और दिलचस्प मामला उजागर हुआ। मध्यप्रदेश शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया की विधानसभा बमोरी के अंतर्गत मारकी महू क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। मनोज भदोरिया अपने को राष्ट्रवादी संगठन से जुड़े हुए व्यक्त करते हैं और बड़े बड़े अधिकारियों और राजनेताओं, दबंग लोगों से संबंध होने की बात कहकर क्षेत्र के शिक्षकों में दहशत पैदा करते हैं और उनकी हिटलर शाही अंदाजो, तुगलकी फरमानो का विरोध करने वाले शिक्षकों को विभिन्न कार्यवाहीयो के नाम पर डराते धमकाते हैं। कई शिक्षकों को वेतन कटवाने, इंक्रीमेंट रूकवाने की कार्रवाई कराकर परेशान कर चुके हैं। क्षेत्र में कई पीड़ित शिक्षक हैं। जो दबी जुबान पर मनोज भदोरिया के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चर्चा करते हैं। जब क्षेत्र के शिक्षकों की वर्तमान में संचालित परीक्षाओं में ड्यूटी लगी और नीतू भदोरिया की ड्यूटी नहीं लगी। तो यह मामला उजागर हुआ। दरअसल मामला इस प्रकार है कि नीतू भदोरिया के पति मनोज भदोरिया द्वारा हेड मास्टर के फर्जी हस्ताक्षर करके उनकी धर्मपत्नी को संतान पालन का 3 महीना का अवकाश दिला कर बिना कोई ड्यूटी किए वेतन प्राप्त कर लिया गया और परीक्षा ड्यूटी से भी बच गए। जब इस मामले की शिक्षा जगत से लोगों द्वारा पड़ताल की गई। तो पता चला कि सीएसी मनोज भदोरिया द्वारा मध्यप्रदेश शासन सिविल सेवा (अवकाश) नियम 1977 के नियम 38--ग ""संतान पालन अवकाश"" नियमों में उल्लेखित नियमों का पालन नहीं करते हुए अपनी धर्मपत्नी को 3 माह का अवकाश स्वीकृत करा दिया गया। जब इस संबंध में आवेदन पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। तो पता चला कि आवेदन पत्र निर्धारित प्रारूप पर नहीं, हेडमास्टर के फर्जी साइन है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा संतान पालक अवकाश जारी गाइडलाइन के अनुसार सर्वप्रथम स्कूल के हेड मास्टर द्वारा यह टिप्पणी अंकित करते हुए कि ""विद्यालय में पर्याप्त शिक्षक मौजूद हैं और छुट्टी पर जाने वाले शिक्षक के कारण विद्यालय के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी"" यह पंक्ति, सील और हस्ताक्षर करके अवकाश फाइल वेतन केंद्र को भेजी जाती है। वेतन केंद्र द्वारा हेड मास्टर की लिखी हुई टिप्पणी को सही मानते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को अवकाश की फाइल भेजी जाती है। परंतु इसके विपरीत करते हुए संबंधित सीएसी मनोज भदोरिया द्वारा आवेदन पत्र पर हेड मास्टर के फर्जी हस्ताक्षर कर फाइल को वेतन केंद्र से जिला शिक्षा अधिकारी को प्रेषित कराया गया और हेड मास्टर को इस संबंध में भनक तक नहीं लगी और यह कहते हुए हेड मास्टर से स्कूल की सील मंगाई गई की स्कूल की जानकारी बनानी है शील की आवश्यकता है। उनकी धर्मपत्नी द्वारा स्कूल के अलमारी से सील उठा कर सीएसी को दी गई। जब यह आवेदन पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। तो हेडमास्टर को भनक लगी और मनोज भदोरिया द्वारा उनकी धर्मपत्नी का 3 महीने का अवकाश स्वीकृति का आदेश थमाया गया। सीसीएल अवकाश का आवेदन 2 दिसंबर 2022 को अवकाश स्वीकृति हेतु दिया गया था और 7 दिसंबर 2022 को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा 3 माह का अवकाश स्वीकृत कर दिया गया। 7 दिसंबर 2022 से 6 मार्च 2023 तक 3 माह का अवकाश स्वीकृत कराकर संबंधित शिक्षिका का माह दिसम्बर 2022, जनवरी-फरवरी 2023, 3 माह वेतन जारी होता रहा और उस अवकाश आवेदन में शासन के नियमों के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु के दो जीवित बड़े बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र भी संलग्न किए जाते हैं। वह भी खानापूर्ति करते हुए फाइल को प्रेषित करवा दिया गया। अवकाश स्वीकृति हेतु निर्धारित प्रारूप आवेदन में सलंग्न नहीं किया गया। इस संबंध में जब क्षेत्र के शिक्षकों को पता चला तो दबी जुबान पर उनके द्वारा बताया गया कि CAC के काले कारनामे और भी हैं। इनकी प्रतिनियुक्ति गलत है। क्योंकि जिस स्थान पर सीएसी के पद पर प्रतिनियुक्ति दी जाती है। वहां उसके परिवार का या निकट का कोई रिश्तेदार शासकीय शिक्षक के पद पर पदस्थ नहीं होना चाहिए। परंतु मनोज भदोरिया द्वारा अपनी पत्नी का ट्रांसफर साडखेड़ा ग्राम पंचायत के रजेला ग्राम से अपने पद और प्रभाव का उपयोग करते हुए मारकी महू केंद्र के ग्राम सहराणा में करा लिया गया। ट्रांसफर के उपरांत 3 महीने का अवकाश अभी तक वेतन प्राप्त करते रहें। परीक्षा ड्यूटी आने पर इस मामले का खुलासा हुआ तो शिक्षा विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब देखते हैं कि शिक्षा विभाग इस प्रकार के काले कारनामे करने वाले अधिकारियों और ऐसे सीएसी पर क्या कार्रवाई करता हैं। जबकि यह स्पष्ट है कि आवेदन पर हेड मास्टर के हस्ताक्षर फर्जी हैं। यहां उल्लेखनीय यह भी है कि स्कूल के हेड मास्टर मारकी महू ग्राम के ही मूल निवासी हैं जो नियमित विद्यालय में रहते हैं और उस विद्यालय में शिक्षक के 2 पद पहले से ही भरे हुए हैं। परंतु अपने पद और प्रभाव का प्रयोग करके सीएसी मनोज भदोरिया ने नियम विरुद्ध पत्नी का ट्रांसफर इस स्कूल में करा करके ज्वाइन करा लिया। जबकि विद्यालय में 60 से भी कम बच्चे अध्ययनरत है और नियमानुसार वहां 2 शिक्षक पहले से ही पदस्थ से तीसरे शिक्षक का कोई पद रिक्त नहीं। अब देखना यह है कि शिक्षा विभाग ऐसे लापरवाह और अपने पद और प्रभाव का प्रयोग करने वाले सीएससी पर कब कार्रवाई करता है।
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