हिजाब विरोधी मसूद पेजेशकियन नए राष्ट्रपति, भारत-ईरान के मजबूत आर्थिक संबंध पर नहीं पड़ेगा असर
ईरान में 19 मई को हेलिकॉप्टर हादसे में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद हुए दूसरे चरण के चुनाव में सुधारवादी नेता और देश में हिजाब के सख्त कानून में कुछ ढील देने के पक्षधर मसूद पेजेशकियन (69) ने जीत दर्ज की है। वह प्रतिद्वंद्वी कट्टरपंथी नेता सईद जलीली को हराकर विजेता घोषित किए गए। पेजेशकियन को 1.63 करोड़ वोट मिले जबकि जलीली को 1.35 करोड़ मत मिले।
तेहरान (आरएनआई) ईरान में 19 मई को हेलिकॉप्टर हादसे में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद हुए दूसरे चरण के चुनाव में सुधारवादी नेता और देश में हिजाब के सख्त कानून में कुछ ढील देने के पक्षधर मसूद पेजेशकियन (69) ने जीत दर्ज की है। वह प्रतिद्वंद्वी कट्टरपंथी नेता सईद जलीली को हराकर विजेता घोषित किए गए। पेजेशकियन को 1.63 करोड़ वोट मिले जबकि जलीली को 1.35 करोड़ मत मिले।
पेशे से हृदय रोग सर्जन रहे पेजेशकियन 1997 में देश के स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं। वह न सिर्फ पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी के समर्थक रहे हैं बल्कि उनके कार्यकाल में हुई 2015 की परमाणु संधि के भी पक्षधर हैं। उन्होंने अब तक पश्चिमी देशों के साथ संबंध बनाने पर जोर दिया है। यही नहीं, महसा अमिनी की हिजाब का विरोध करने पर जेल में हुई मौत के बाद देशभर में भड़के हिजाब विरोधी आंदोलन में भी पेजेशकियन ने इस कानून को आसान बनाने का चुनाव अभियान में वादा किया था। ईरान के मतदाताओं ने इसी वादे और उनके सुधारवादी रुख के चलते उन्हें देश का 9वां राष्ट्रपति चुना। पेजेशकियन ने अपने अभियान में ईरानी शिया धर्मतंत्र में कोई आमूलचूल परिवर्तन नहीं करने का वादा किया और लंबे समय से सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को देश में राज्य के सभी मामलों के अंतिम मध्यस्थ के रूप में रखा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत और ईरान के बीच ऐतिहासिक रूप से मजबूत आर्थिक संबंध रहे हैं। पेजेशकियन के राष्ट्रपति बनने के बाद इन संबंधों के और मजबूत होने की संभावना है। भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने चुनाव परिणाम आने से पहले ही ईरान का रुख बता दिया था। उन्होंने कहा कि ईरान और भारत के बीच विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं होगा, चाहें सत्ता में कोई भी आए। पेजेशकियान एक सुधारवादी नेता हैं और वह पश्चिमी देशों से भी संपर्क बढ़ाने के पक्षधर हैं। वह भारत के साथ संबंधों को प्राथमिकता देंगे। खासतौर पर रणनीतिक रूप से अहम चाबहार बंदरगाह पर दोनों देशों का फोकस रहेगा। भारत ने इस परियोजना में भारी निवेश किया है। यह बंदरगाह भारत को पाकिस्तान को दरकिनार कर मध्य एशिया तक कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। भारत ने चाबहार बंदरगाह टर्मिनल के विकास के लिए 12 करोड़ डॉलर देने का वादा किया है और ईरान में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 25 करोड़ डॉलर की क्रेडिट लाइन देने की भी पेशकश की है।
मसूद पजेशकियन ने चुनाव से पहले भी राजनीतिक भाषणों के दौरान कई बार हिजाब की खिलाफत की थी। उन्होंने कई बार कहा है कि वो किसी प्रकार के कट्टरपंथ के खिलाफ हैं, जो संस्कृति के नाम पर बने कानूनों पर सख्ती के साथ पेश आती है। इसी कानून में हिजाब की अनिवार्यता भी आती है, जो 1979 में इस्लामिक क्रांति के बाद से ईरान में लागू हुआ। पेजेशकियन ने कहा, वह इस कानून की सख्ती के खिलाफ हैं।
ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन पेशे से डॉक्टर हैं और ईरान की तबरीज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रमुख रहे हैं। पेजेशकियन साल 1997 में ईरान के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में सेवाएं दे चुके हैं। वह पहली बार राष्ट्रपति चुनाव में नहीं उतरे। 2011 में उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन किया था, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली। पेजेशकियन की पहचान एक उदारवादी नेता की है और वह पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी के करीबी माने जाते हैं।
पेजेशकियन ने कहा, चुनाव खत्म हुए और यह हमारे सहयोग की शुरुआत है। आपके सहयोग, सहानुभूति और विश्वास के बिना आगे का कठिन रास्ता आसान नहीं होगा। मैं आपकी ओर हाथ फैलाता हूं और संकल्प लेता हूं कि मैं आपको इस रास्ते पर अकेला नहीं छोड़ूंगा। आप भी मुझे अकेला मत छोडो।
गौरतलब है कि इससे पहले 28 जून को मतदान के शुरुआती दौर में किसी भी उम्मीदवार को 50% से ज्यादा वोट नहीं मिले, इस कारण शीर्ष दो उम्मीदवारों में सीधा मुकाबला हुआ। पेजेशकियन की बढ़त के साथ ही उनके समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर जश्न शुरू कर दिया। ईरानी लोगों में यह उत्साह हर शहर में देखा गया।
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