हिंसा की वजह से भारत-बांग्लादेश के बीच व्यापार लगातार दूसरे दिन ठप
पश्चिम बंगाल के बंदरगाहों से भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाले वाला व्यापार लगातार दूसरे दिन सोमवार को भी ठप रहा।अधिकारियों का कहना है कि एक तय संख्या में यात्रियों की आवाजाही जारी है।
कोलकाता (आरएनआई) बांग्लादेश में हिंसा अभी भी जारी है और इसका असर व्यापार पर भी पड़ रहा है। पश्चिम बंगाल के बंदरगाहों से भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाले वाला व्यापार लगातार दूसरे दिन सोमवार को भी ठप रहा। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि एक तय संख्या में यात्रियों की आवाजाही जारी है। उधर, बांग्लादेश के पेट्रापोल बंदरगाह से माल ढोने वाले ट्रकों के पहिए भी रविवार से थमे हुए हैं। बांग्लादेश में हिंसक घटनाओं की वजह से सरकार ने अवकाश घोषित किया हुआ है। आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर बाकी सभी सेवाओं पर फिलहाल रोक लगाई गई है।
पेट्रापोल बंदरगाह उत्तरी परगना जिले के बनगांव में स्थित है। यह बंदरगाह दक्षिण एशिया के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक है। यह बंदरगाह भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार में अहम भूमिका निभाता है। सामान्य दिनों में यहां से हर दिन सैकड़ों मालवाहक ट्रक गुजरते हैं। पेट्रापोल बंदरगाह में भारतीय अधिकारी कमलेश सैनी का कहना है कि व्यापार पर फिलहाल रोक लगाई गई है। हालांकि, लोगों, खास तौर पर छात्रों की आवाजाही जारी है। उन्होंने बताया कि अब तक 700 से अधिक छात्र पेट्रापोल बंदरगाह पहुंचे हैं।
कमलेश सैनी ने आगे बताया कि अब तक 4,500 से अधिक भारतीय छात्रों की बांग्लादेश से वतन वापसी कराई गई है। आपको बता दें कि बांग्लादेश में हिंसा की वजह से 100 से अधिक लोगों की मौत हुई है। पेट्रोपोल बंदरगाह में बीते शनिवार को आखिरी व्यापारिक गतिविधि देखी गई है। उस दौरान बांग्लादेश में भारत में 110 मालवाहक ट्रक भेजे गए थे। इसके अलावा भारत से बा्ंग्लादेश के लिए 48 मालवाहक ट्रक भेजे गए थे। अधिकारियों ने बताया कि इस समय पेट्रापोल बंदरगाह में 800 ट्रकों के पहिए थमे हुए हैं।
बांग्लादेश को साल 1971 में आजादी मिली थी। आजादी के बाद से ही बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था लागू है। इसके तहत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30 प्रतिशत, देश के पिछड़े जिलों के युवाओं को 10 प्रतिशत, महिलाओं को 10 प्रतिशत, अल्पसंख्यकों के लिए 5 प्रतिशत और दिव्यांगों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। इस तरह बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत आरक्षण था। साल 2018 में बांग्लादेश के युवाओं ने इस आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन किया। कई महीने तक चले प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश सरकार ने आरक्षण खत्म करने का एलान किया। बीते महीने 5 जून को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने देश में फिर से आरक्षण की पुरानी व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया। शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा। इससे छात्र नाराज हो गए और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों से शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन अब बढ़ते-बढ़ते हिंसा में तब्दील हो गया है।
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