हिंदी के नामों को बोलना भी मुश्किल
लोकसभा के मानसून सत्र के दौरान केंद्र की भाजपा सरकार ने तीन विधेयक लोकसभा में पेश किए। इनमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य बिल शामिल हैं।
नई दिल्ली। (आरएनआई) पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए आपराधिक कानून सुधार विधेयकों पर तंज कसा है। बता दें कि केंद्र सरकार ने तीन विधेयक पेश किए हैं, जो देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था में बड़ा बदलाव लेकर आएंगे। मीडिया से बात करते हुए पी. चिदंबरम ने विधेयकों को हिंदी नाम देने पर भाजपा सरकार पर सवाल उठाए।
चिदंबरम ने कहा कि 'मैं ये नहीं कह रहा हूं कि हिंदी नाम नहीं देने चाहिए लेकिन जब अंग्रेजी का इस्तेमाल किया जाता है तो उसे अंग्रेजी नाम दिए जाने चाहिए। वहीं अगर हिंदी इस्तेमाल की जाती है तो उन्हें हिंदी नाम देना चाहिए। जब कानून ड्राफ्ट किए जाते हैं तो उन्हें अंग्रेजी में बनाया जाता है और बाद में उन्हें हिंदी में ट्रांसलेट कर दिया जाता है लेकिन सरकार ने विधेयक के प्रावधान अंग्रेजी में तैयार किए हैं लेकिन उन्हें नाम हिंदी के दिए गए हैं। इन्हें बोलना भी मुश्किल है।'
बता दें कि लोकसभा के मानसून सत्र के दौरान केंद्र की भाजपा सरकार ने तीन विधेयक लोकसभा में पेश किए। इनमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य बिल शामिल हैं। ये विधेयक मौजूदा कानूनों इंडियन पीनल कोड, कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे।
चिदंबरम ने कहा कि अधिकतर अदालतों में अंग्रेजी के शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं और अगर हिंदी के शब्द इस्तेमाल भी किए जाते हैं तो जज उन्हें अंग्रेजी में ट्रांसलेट करने के लिए कहते हैं। बता दें कि सरकार द्वारा लाए गए तीनों विधेयक स्टैंडिंग कमेटी के पास भेज दिए गए हैं। भारतीय न्याय संहिता में मौजूदा कानून में कई बदलाव किए गए हैं। जिनमें मानहानि, आत्महत्या के प्रयास और धोखेबाजी से किसी के साथ यौन संबंध बनाने से संबंधित अपराधों के दायरे को विस्तृत किया गया है। साथ ही इसमें राजद्रोह कानून में भी बदलाव किया गया है।
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