हाईकोर्ट से चीनी नागरिक को बड़ा झटका, स्वदेश वापसी की याचिका की खारिज; लंबित मुकदमे का दिया हवाला
कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक चीनी नागरिक की घर वापस जाने की याचिका को खारिज कर दिया है। चीनी नागरिक कथित लोन ऐप के एक घोटाले में आरोपी हैं। मामले में कोर्ट का कहना है कि उसके खिलाफ अभी मुकदमा लंबित है और तब तक उसे देश से बाहर जाने की अनुमति नहीं है।
कर्नाटक (आरएनआई) कर्नाटक हाई कोर्ट ने कथित लोन ऐप घोटाले में आरोपी चीनी नागरिक की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने अपने बीमार पिता से मिलने के आधार पर मुकदमा चलते रहने तक अपने देश वापस जाने की अनुमति मांगी थी। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की एकल बेंच ने 42 वर्षीय चीनी नागरिक हू शियाओलिन की याचिका पर यह आदेश दिया है।
चीनी नागरिक हू शियाओलिन कथित तौर पर पावर बैंक ऐप घोटाले के रूप में जाने जाने वाले चीनी लोन ऐप घोटालों की एक श्रृंखला में शामिल है, जिसमें ग्राहकों को कर्नाटक और केरल में कई करोड़ रुपये का धोखा दिया गया था। कोर्ट ने चीनी आपराधिक संहिता पर ध्यान दिया, जिसके अनुसार एक बार जब कोई व्यक्ति आरोपी बन जाता है, तो उसे मुकदमा पूरा होने तक देश से बाहर जाने की अनुमति नहीं होती है।
मामले में कोर्ट ने कहा कि चीनी नागरिक होने के नाते याचिकाकर्ता जरूर चीन में विदेशी नागरिक या किसी विदेशी के साथ व्यवहार में लागू कानून से अवगत है, जैसा कि उसके कानूनों में बताया गया है। अगर चीन के कानून ऐसी परिस्थितियों में किसी विदेशी नागरिक के इस तरह से बाहर निकलने पर रोक लगाते हैं, तो भारत के कानूनों को किसी भी मामले में लचीला नहीं बनाया जा सकता है, क्योंकि यह एक चीनी नागरिक का मामला है जो कई अपराधों में शामिल है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि, अगर याचिकाकर्ता को उसके खिलाफ लंबित अपराधों की अधिकता के बावजूद देश की सीमा से बाहर जाने की अनुमति दी जाती है, तो मुकदमा खत्म करना असंभव हो जाएगा, क्योंकि यह उसे न्याय से भागने और कानून की गरिमा में सेंध लगाने की अनुमति देगा। सूत्रों के अनुसार, हू जियाओलिन साल 2017 में भारत आई थी और उसने भारतीय नागरिक अनस अहमद से शादी की थी और वर्तमान में बेंगलुरु में रह रही है।
जबकि रेजरपे सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड, एक पेमेंट गेटवे की तरफ से दायर की गई शिकायत के आधार पर जियाओलिन और उसके पति के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे। फिर याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किया गया और जमानत शर्तों पर रिहा किया गया, जिसमें यह भी शामिल है कि वह अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेगी। सूत्रों के अनुसार, याचिकाकर्ता ने इस दौरान कोर्ट में सबूत पेश किया कि केरल उच्च न्यायालय ने उसे केरल में दर्ज मामलों के संबंध में चीन जाने और वापस आने की अनुमति दी थी।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि केरल उच्च न्यायालय की तरफ से यात्रा की अनुमति देने से यह न्यायालय इस मुद्दे पर गुण-दोष के आधार पर विचार करने के लिए बाध्य नहीं होगा, क्योंकि केरल उच्च न्यायालय की तरफ से पारित आदेश भारतीय नागरिकों समेत अन्य नागरिकों के लिए चीन में प्रचलित अपराधों या प्रथाओं का संकेत नहीं देता है। इसलिए, इस मामले के विशिष्ट तथ्यों में विदेश यात्रा की अनुमति मांगना किसी भी सोच-विचार का विषय नहीं है।
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