हाईकोर्ट अपने रिट अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल कर रद्द कर सकते हैं कार्यवाही, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट ने अपीलकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर को रद्द करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत असाधारण शक्ति का इस्तेमाल करने से मना करके गलती की है।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट रिट अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करते हुए आपराधिक मामले में मुकदमे की कार्यवाही रद्द कर सकते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा है कि यह सच है कि आम तौर पर सीआरपीसी की धारा 482 के तहत आपराधिक मामले को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट संविधान में निहित अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन निश्चित रूप से इसका मतलब यह नहीं है कि यह संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत असाधारण शक्ति के तहत नहीं किया जा सकता है।
जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ आपराधिक अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल करते हुए आपराधिक मामले को रद्द करने से इन्कार कर दिया था। दरअसल, अपीलकर्ता (एक विदेशी नागरिक और हुंडई इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन इंडिया एलएलपी के प्रोजेक्ट मैनेजर) के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
एफआईआर में कुल 9 करोड़ रुपये के भुगतान में चूक के संबंध में धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया था। अनुबंधों की शृंखला में कई उपठेकेदार शामिल थे और शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि चेक बाउंस होने और भुगतान न करने से वित्तीय और व्यक्तिगत नुकसान हुआ जिसमें उसके भाई की मृत्यु भी शामिल है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट ने अपीलकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर को रद्द करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत असाधारण शक्ति का इस्तेमाल करने से मना करके गलती की है।
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