निस्वार्थ सेवा भाव उच्च संस्कारों की पहचान श्री भार्गव
गुना। Rni नि: स्वार्थ भाव से यथासंभव जरूरतमंद की मदद करना, सेवा करना हमारे संस्कारों की पहचान कराता है। तन, मन और वचन से दूसरे की सेवा में तत्पर रहना स्वयं इतना बड़ा साधन है कि उसके रहते किसी अन्य साधन की आवश्यकता ही नहीं रहती। क्योंकि जो व्यक्ति सेवा में सच्चे मन से लग जाएगा उसको वह सब कुछ स्वत: ही प्राप्त होगा। जिसकी वह आकांक्षा रखता है। एकल का कार्य भी ईश्वरीय सेवा है। हम सभी हनुमान हे बस जामवंत जी के द्वारा हमारी स्मरण शक्ति को याद दिलाकर छुपी हुई शक्ति को उजागर करना पड़ेगा। एकल आचार्य हर गांव में 30 राष्ट्र भक्त, सैनिक, शिक्षक तैयार करते है। एकल के प्रशिक्षण वर्ग से प्रशिक्षण लेकर हमारे आचार्य पंचमुखी शिक्षा के द्वारा एकल विद्यालय में बच्चों को शिक्षित कर उनके व्यक्तित्व का विकास कर रहे हे। , उक्त बात मुख्य अतिथि बौद्धिक विभाग प्रमुख आनंद भार्गव ने कही। एकल अभियान मध्यभारत अंचल गुना का दस दिवसीय वार्षिक आचार्य अभ्यास वर्ग का आरंभ शुक्रवार को रूठियाई मुस्कान गार्डन में आरंभ हुआ। उद्घाटन सत्र का शुभारंभ भारत माता के चित्र पर दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण कर विधिवत शुरू किया गया। इस अवसर पर महिला भाग अध्यक्ष आशा रघुवंशी, मध्यभारत भाग प्रशिक्षण शिक्षा प्रमुख विकास जैन, अंचल गुना अध्यक्ष मदन सोनी, भाग प्रशिक्षण प्रमुख नारायण सिंह ठाकुर, अभियान प्रमुख पप्पू सिंह, अंचल प्रशिक्षण प्रमुख नारायण सिंह, संच समिति अध्यक्ष राजेंद्र श्रीवास्तव, नंदू भैया, ललित जैन, बलबीर सिंह मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
दस दिवसीय अभ्यास वर्ग में गुना अंचल के 6 संचों से नवीन आचार्य ने हिस्सा लिया। जिसमे रूठियाई, जमनेर, कुंभराज, चाचौड़ा, राजगढ़ और खिलचीपुर के आचार्य जनों ने भाग लिया। वर्ग को संबोधित करते हुए श्री जैन ने प्रशिक्षण के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि मानव समाज के हृदय के अंदर हमेशा सेवा भाव होना अति आवश्यक है सेवाभाव से जहा समाज के अंदर फैली कुरीतियां समाप्त होती हैं वही आपसी सौहार्द, अमन चैन शाति के साथ -साथ समाज का विकास भी होता है। हमे मानवता को भूलना नहीं चाहिए। एकल काम काम भी मानव समाज में सबसे कमजोर दबे, कुचले, गरीबों और जरूरतमंदों लोगों की सेवा का है और सही मायने में यही असली पूजा है। इस दौरान राजकुमार शर्मा सहित नवीन आचार्य भैया दीदी उपस्थित रहे।
What's Your Reaction?