सड़कों की क्वालिटी सुधारने सरकार ने अपनाई वाइट टॉपिंग तकनीक, पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 21 जिलों के 41 मार्गों पर होगा कार्य

Nov 22, 2024 - 21:42
Nov 22, 2024 - 21:43
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सड़कों की क्वालिटी सुधारने सरकार ने अपनाई वाइट टॉपिंग तकनीक, पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 21 जिलों के 41 मार्गों पर होगा कार्य

भोपाल (आरएनआई) मध्य प्रदेश में सड़कों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और यातायात को सुगम बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग आधुनिक तकनीकों के उपयोग पर विशेष ध्यान दे रहा है। विभाग ने सड़क निर्माण की अत्याधुनिक वाइट टॉपिंग तकनीक को अपनाने का निर्णय लिया है। इस दिशा में पायलट प्रोजेक्ट के तहत 21 जिलों में चयनित 41 मार्गों पर इस तकनीक को लागू किया जाएगा। इन मार्गों की कुल लंबाई 109.31 किलोमीटर है। योजना को नवंबर के अंत तक शुरू करने की तैयारी है, और इसे अगले 4 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ इसकी टिकाऊपन है। वाइट टॉपिंग के कारण सड़कों को लंबे समय तक गड्ढामुक्त रखा जा सकता है, जिससे यातायात व्यवस्था अधिक सुगम होती है। साथ ही, यह पर्यावरण के अनुकूल भी है क्योंकि कंक्रीट की सतह डामर की तुलना में ठंडी रहती है। इसके अलावा, रख-रखाव की लागत में भी काफी कमी आती है।

ये होती है वाइट टॉपिंग सड़क निर्माण तकनीक
वाइट टॉपिंग सड़क निर्माण की एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें पुरानी डामर सड़कों पर कंक्रीट की मोटी परत चढ़ाई जाती है। यह प्रक्रिया सड़कों को न केवल मजबूत और टिकाऊ बनाती है, बल्कि उनकी आयु 20 से 25 वर्षों तक बढ़ा देती है। इस तकनीक में सबसे पहले डामर सड़क की सतह को साफ किया जाता है, फिर 6 से 8 इंच मोटी कंक्रीट की परत डाली जाती है, जो भारी यातायात और खराब मौसम का सामना करने में सक्षम होती है।

शुरुआत में इन जिलों में होगा सड़क निर्माण 
इस परियोजना के तहत सबसे अधिक 14 मार्गों पर कार्य भोपाल में किया जाएगा। अन्य जिलों में इंदौर में 3 मार्ग, ग्वालियर में 3 मार्ग, बुरहानपुर में 2 मार्ग, मंदसौर में 2 मार्ग, सागर में 2 मार्ग, आगर मालवा, उमरिया, खंडवा, गुना, छतरपुर, देवास, नर्मदापुरम, नीमच, बैतूल, मुरैना, रतलाम, रायसेन, रीवा, सतना और हरदा में 1-1 मार्ग पर वाइट टॉपिंग तकनीक लागू की जाएगी।

4 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य
विभाग ने इस कार्य को अगले 4 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इस पहल से सड़कों की गुणवत्ता में सुधार होगा और यातायात व्यवस्था अधिक सुगम होगी। इसके साथ ही यह परियोजना सड़कों को अधिक टिकाऊ और लंबे समय तक गड्ढामुक्त बनाए रखने में सहायक होगी।

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