स्टारलिंक और टेलीकॉम कंपनियों की साझेदारी पर सियासत, केंद्र सरकार पर हमलावर कांग्रेस
एयरटेल के बाद कल जियो ने भी स्टारलिंक के साथ साझेदारी की घोषणा की। इस बात पर देश की सियासत में गर्माहट तेज हो गई है। विपक्षी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाया है कि ट्रंप की टैरिफ नीति से बचने और उनके गुडविल में रहने के लिए पीएम मोदी ने ये कदम उठाया है।

नई दिल्ली (आरएनआई) जियो ने बुधवार को और एयरटेल ने मंगलवार को स्टारलिंक के साथ साझेदारी की घोषणा की। इस बात से देश की राजनीतिक गर्माहट को भी तेज हो गई है। इस मामले में विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस ने गुरुवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ नीति से बचने और उनके साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए स्टारलिंक से एयरटेल और जियो दोनों के साथ साझेदारी की घोषणा की है। ताकी वो ट्रंप से समर्थन पा सकें। कांग्रेस का कहना है कि इस साझेदारी के पीछे प्रधानमंत्री का हाथ है, जो एलन मस्क के जरिए ट्रंप से संबंध मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
मामले में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि सिर्फ 12 घंटे के भीतर एयरटेल और जियो दोनों ने स्टारलिंक के साथ साझेदारी की घोषणा की। उन्होंने कहा कि ये बात भारत में इसके प्रवेश पर पहले जताई जा रही आपत्तियों को दूर करता है। रमेश ने कहा कि यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि यह साझेदारी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एलन मस्क के माध्यम से ट्रंप से अच्छे संबंध बनाने के उद्देश्य से की गई है।
साथ ही कांग्रेस नेता रमेश ने यह भी कहा कि इस साझेदारी से कई सवाल बने हुए हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण सवाल राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। उन्होंने पूछा कि अगर राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकता होती है तो कनेक्टिविटी को चालू या बंद करने का अधिकार किसके पास होगा, स्टारलिंक के पास या इसके भारतीय साझेदारों के पास? इसके अलावा, क्या अन्य सैटेलाइट-आधारित कनेक्टिविटी प्रदाताओं को भी अनुमति दी जाएगी और किस आधार पर?
साथ ही कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि क्या भारत में टेस्ला के निर्माण के लिए अब कोई प्रतिबद्धता की जाएगी, क्योंकि स्टारलिंक के भारत में प्रवेश के बाद यह एक बड़ा सवाल बनकर उभरा है। बता दें कि मुकेश अंबानी की जियो प्लेटफ़ॉर्म ने भी मस्क के नेतृत्व वाली एयरोस्पेस कंपनी स्पेसएक्स के साथ सौदा किया है, जिससे स्टारलिंक की ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाओं को भारत में लाया जाएगा। यह कदम तब आया है जब इस बारे में महीनों तक बहस चल रही थी कि मस्क के उद्यम को स्पेक्ट्रम अधिकार कैसे दिए जाने चाहिए। इससे एक दिन पहले भारती एयरटेल ने भी स्पेसएक्स के साथ इसी तरह की साझेदारी की घोषणा की थी।
स्टारलिंक स्पेसएक्स द्वारा संचालित दुनिया का सबसे बड़ा लो-अर्थ-ऑर्बिट (एलईओ) तारामंडल है, जो हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा प्रदान करता है। पिछले मंगलवार को भारती एयरटेल ने घोषणा की कि वह स्टारलिंक की हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा को भारत में लाने के लिए स्पेसएक्स के साथ एक समझौता कर रही है।
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