सोशल मीडिया से बच्चे क्या अब बड़े भी नहीं बच पा रहे

किशोरों के दिमाग भी ऐसे बने हैं कि वे सामाजिक तौर पर जुड़े रहना चाहते हैं। सोशल मीडिया इसका अवसर देता है। यहां न केवल संपर्क, बल्कि लाइक्स व प्रतिक्रियाएं भी मिलती हैं।

Oct 29, 2023 - 05:36
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सोशल मीडिया से बच्चे क्या अब बड़े भी नहीं बच पा रहे

वाशिंगटन, (आरएनआई) अमेरिका के 50 में से 41 राज्यों ने अपने बच्चों को सोशल मीडिया की लत से बचाने के लिए फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप की मालिकाना कंपनी मेटा प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ केस दायर कर दिया है। आरोप हैं कि मेटा ने जानबूझ कर ऐसे फीचर्स डिजाइन किए जो बच्चों व किशोरों को इसकी लत लगा रहे हैं। बड़े भी इससे बच नहीं पा रहे हैं। मेटा उनकी कमजोरी का अपने मुनाफे के लिए फायदा उठा रही है। क्या सच में सोशल मीडिया व इंटरनेट की लत लगती है और किशोरों के दिमाग की मजबूरी का मेटा फायदा उठा रही है? इन सवालों के जवाब देती रिपोर्ट -

किशोरों के दिमाग भी ऐसे बने हैं कि वे सामाजिक तौर पर जुड़े रहना चाहते हैं। सोशल मीडिया इसका अवसर देता है। यहां न केवल संपर्क, बल्कि लाइक्स व प्रतिक्रियाएं भी मिलती हैं।

कनेक्टिकट में इंटरनेट व तकनीक की लत के पीड़ितों के लिए केंद्र चला रहे मनोचिकित्सक डेविड ग्रीनफील्ड मेटा जैसी कंपनियों की शक्तिशाली तकनीक 'इंटरमिटन री-इन्फोर्समेंट' के बारे में बताते हैं। यह यूजर्स को बताती है कि पोस्ट किए गए कमेंट्स, तस्वीरों, वीडियो के लिए उन्हें दूसरे लोगों से लाइक्स व प्रतिक्रियाएं मिलेंगी, जो उनका इनाम होंगी, लेकिन कब, यह तय नहीं होता। यह इनाम का लालच ही लत लगाता है। यह कुछ-कुछ जुआ घर में लगी मशीनों जैसा है, जिनमें रंग-बिरंगी लाइटें होती हैं, संगीत बजता है और 'कुछ पाने की संभावना' यानी इनाम का लालच होता है। यह तकनीक यूजर्स को सोशल मीडिया से चिपकाए रहती है। इससे बड़े तक नहीं बच पाते, बच्चे व किशोर तो ज्यादा जोखिम में हैं।

2013 में मानसिक रोग जांच व सांख्यिकी मैनुअल ने इंटरनेट व गेमिंग की लत का उल्लेख किया, लेकिन इसे बीमारी या लत कहने के लिए और अध्ययनों की जरूरत बताई। लत किसी पदार्थ की ही मानी जाती है, व्यवहार की नहीं। बाद में हुए अध्ययनों ने बताया कि इंटरनेट की लत परिभाषित करना होगा। बोस्टन बाल रोग चिकित्सालय में डिजिटल वेलनेस विभाग के निदेशक डॉ. माइकल रिच मानते हैं कि इंटरनेट व सोशल मीडिया के साथ लत शब्द का उपयोग सही नहीं है। इसका सीमित उपयोग फायदेमंद है, रोजमर्रा के लिए जरूरी भी। वे इसके बजाय इंटरनेट के समस्या जनक उपयोग शब्द उपयोग करने का विचार देते हैं।

डॉ. रिच से डॉ. ग्रीनफील्ड पूरी तरह सहमत नहीं होते। वह बताते हैं कि कई मामलों में सोशल मीडिया व इंटरनेट की वजह से बच्चों की पढ़ाई, स्कूल, नींद तक प्रभावित हो रही है।

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