सेंथिल बालाजी को कैबिनेट में शामिल करने पर राज्य को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने चिंता जताते हुए कहा कि बालाजी के खिलाफ कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चल रहा है और अधिकतर गवाह सरकारी कर्मचारी हैं और पीड़ित आम लोग हैं।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को डीएमके नेता वी सेंथिल बालाजी के मंत्री बने रहने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि बालाजी को धन शोधन के एक मामले में जमानत मिलने के कुछ दिनों बाद ही राज्य सरकार में मंत्री बना लिया गया। उनको मंत्री के रूप में नियुक्त करना बहुत गलत था।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि बालाजी के खिलाफ कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चल रहा है और अधिकतर गवाह सरकारी कर्मचारी हैं और पीड़ित आम लोग हैं। अदालत ने राज्य सरकार से जानना चाह कि नौकरी के लिए नकदी मामले में कितने गवाहों से पूछताछ होनी बाकी है। इसी को लेकर सरकार को नोटिस जारी किया।
पीठ ने पूछा, 'हमें लंबित मुकदमों के विवरण को देखने का अवसर मिला। आम लोग जिनसे पैसे लिए गए हैं वे सभी गवाह हैं। सरकारी कर्मचारी गवाह हैं।'
अदालत ने आगे उन मामलों में गवाहों की संख्या के रिकॉर्ड की मांग की, जिनकी जांच की जानी है। साथ ही यह भी पूछा कि अपराध के कितने पीड़ित गवाह हैं और कितने लोक सेवक गवाह हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह गलत है कि जैसे ही कोई व्यक्ति जमानत पर रिहा होता है, उसे तुरंत मंत्री बना दिया जाता है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से यह जानना चाहा कि मामले में कितने पीड़ित हैं।
पीठ ने पूछा, 'अगर पीड़ितों की संख्या बहुत अधिक है तो जाहिर है कि कैबिनेट मंत्री के पद पर बैठे इस व्यक्ति का क्या होगा।'
पीड़ित की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि अभियोजन पक्ष के अधिकतर गवाह सरकारी कर्मचारी हैं और प्रतिवादी मंत्री के पास तीन विभाग हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब प्रतिवादी जेल में था तब वह एक शक्तिशाली मंत्री था, उसने बिना किसी विभाग के मंत्री के रूप में सत्ता का इस्तेमाल जारी रखा। इस पर बालाजी के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कई लोग राज्य में प्रभावशाली होते हैं, जिनके पास कोई पद नहीं होता। वहीं, मेहता ने कहा कि यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है। इसे अदालत ही रहने दें।
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने आरोप लगाया कि बालाजी जानबूझकर धन शोधन मामले की सुनवाई में देरी कर रहे हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी। एक पीड़ित की याचिका पर ईडी ने बालाजी की जमानत रद्द करने की मांग की, क्योंकि उन्हें 29 सितंबर को तमिलनाडु के गवर्नर आर एन रवि ने फिर से मंत्री पद की शपथ दिलाई थी और उन्हें वही महत्वपूर्ण विभाग सौंपे गए थे, जो पहले थे – बिजली, गैर-पारंपरिक ऊर्जा विकास, और शराब व उत्पाद शुल्क।
ईडी ने कहा कि बालाजी की जेल से रिहाई के बाद से मामले के गवाहों की सुनवाई रुक गई है, क्योंकि उन्होंने कई बार डिजिटल रिकॉर्ड्स की प्रतियां मांगी और वकील बदलने की कोशिश की। यह भी आरोप लगाया कि बालाजी ने 2011 से 2015 तक परिवहन मंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार किया और सरकारी विभाग में भर्ती प्रक्रिया को भ्रष्ट बना दिया। उन्होंने अपनी आधिकारिक हैसियत का गलत इस्तेमाल कर अवैध तरीके से धन अर्जित किया।
बालाजी को 14 जून 2023 को गिरफ्तार किया गया था, और 26 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 471 दिन बाद जमानत दी।
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