सूरत में हीरा श्रमिकों का अनिश्चितकालीन हड़ताल, वेतन बढ़ोतरी और राहत पैकेज की मांग को लेकर निकली रैली
गुजरात के सूरत शहर में हीरा श्रमिकों ने पांच किमी लंबा विरोध मार्च निकाला और वेतन बढ़ोतरी और राहत पैकेज की मांग की है। मामले में सूरत डायमंड एसोसिएशन अध्यक्ष ने कहा- उनके वेतन में कटौती नहीं की गई है, लेकिन पिछले दो सालों से वेतन में बढ़ोतरी नहीं हुई है।

सूरत (आरएनआई) गुजरात के सूरत में रविवार को सैकड़ों हीरा श्रमिकों ने रैली निकाली, जिनमें से कुछ ने राहत पैकेज और वेतन बढ़ोतरी की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल की।इस क्षेत्र में मंदी के कारण वेतन में 50 प्रतिशत की कटौती की गई है। इस दौरान हीरा काटने और पॉलिश करने वालों ने कटारगाम से कपोदरा हीरा बाग इलाके तक करीब 5 किलोमीटर लंबा शांतिपूर्ण मार्च निकाला। सूरत हीरा क्षेत्र के प्रमुख केंद्रों में से एक है, जहां दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत कच्चे हीरे काटे और पॉलिश किए जाते हैं, जो 2,500 से अधिक इकाइयों में कार्यरत लगभग 10 लाख श्रमिकों की तरफ से किए जाते हैं।
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कल्याण बोर्ड के गठन, वेतन में बढ़ोतरी और वित्तीय संकट के कारण आत्महत्या करने वाले श्रमिकों के परिवारों को सहायता की मांग की है और अपनी मांगें पूरी होने तक अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया है। डायमंड वर्कर्स यूनियन गुजरात (डीडब्ल्यूयूजी) के उपाध्यक्ष भावेश टैंक ने कहा, 'पिछले दो वर्षों में हीरा उद्योग में भारी मंदी के कारण श्रमिकों के लिए उचित काम और वेतन की कमी के कारण अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है। पिछले साल आर्थिक तंगी के कारण उनमें से कई ने आत्महत्या कर ली।'
दो हफ्ते पहले एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को एक प्रस्ताव सौंपा, जिसमें श्रमिकों के लिए मुद्रास्फीति-समायोजित वेतन वृद्धि, हीरे की कीमतों में वृद्धि, कल्याण बोर्ड का गठन, श्रमिकों पर लगाए गए पेशेवर कर को खत्म करने, आत्महत्या करने वालों के परिवारों को वित्तीय सहायता और काम के घंटे तय करने का अनुरोध किया गया। भावेश टैंक ने दावा किया कि हीरा उद्योग ने श्रमिकों को श्रम कानूनों के तहत मिलने वाले लाभों जैसे कि भविष्य निधि, बोनस, वेतन पर्ची, ओवरटाइम वेतन, मुद्रास्फीति-समायोजित वेतन वृद्धि और ग्रेच्युटी से वंचित कर दिया है, जिससे हीरा उद्योग में एकतरफा विकास हुआ है। उन्होंने कहा, 'हमें विश्वास है कि सरकार कुछ उपाय करेगी। जब तक ये मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक करीब दो लाख श्रमिक आज से काम पर नहीं आएंगे।'
सूरत डायमंड एसोसिएशन (एसडीए) के अध्यक्ष जगदीश खुंट ने कहा कि सूरत में कई हीरा काटने और चमकाने वाली इकाइयां पिछले दो वर्षों से मंदी का सामना कर रही हैं, और उन्हें आर्थिक पैकेज के रूप में सरकार से समर्थन की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा, 'मंदी के कारण कई दलाल और व्यापारी भी परेशान हैं।' जगदीश खुंट ने कहा कि मंदी के कारण हीरा काटने और चमकाने वालों को दो साल से अधिक समय से वेतन वृद्धि नहीं मिली है। उन्होंने कहा, 'उनके वेतन में कटौती नहीं की गई है, लेकिन पिछले दो सालों से वेतन में बढ़ोतरी नहीं हुई है। लेकिन सच्चाई यह है कि निर्माता भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और मंदी के कारण वेतन बढ़ाने की स्थिति में नहीं हैं।
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