सूद पर पैसे बांटे तो 10 साल तक होगी जेल, 1 करोड़ का लगेगा जुर्माना
सरकार लोन बांटने को लेकर एक नया कानून बना रही है। इसका मकसद सूदखोरों के चंगुल से आम आदमी को बचाना है। सरकार ने इस मसौदे में 10 साल तक जेल का प्रावधान रखा है, जिसमें 1 करोड़ तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
नई दिल्ली (आरएनआई) सूद पर पैसे बांटने वालों की अब खैर नहीं। सरकार ऐसी अनियमित कर्ज व्यवस्था पर लगाम कसने के लिए सख्त कानून ला रही है। इसका मसौदा भी पेश किया जा चुका है और जल्द ही इस पर कानून बना दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने बिना नियमन वाले कर्ज पर अंकुश लगाने और उल्लंघन करने वालों के लिए मौद्रिक दंड के अलावा 10 साल तक की सजा का प्रावधान रखा है। बीयूएलए (गैर-विनियमित ऋण गतिविधियों पर प्रतिबंध) शीर्षक वाले विधेयक के मसौदे पर हितधारकों को 13 फरवरी, 2025 तक अपना पक्ष रखने को कहा गया है।
प्रस्तावित विधेयक में भारतीय रिजर्व बैंक या अन्य नियामकों की तरफ से अधिकृत नहीं किए गए और किसी अन्य कानून के तहत पंजीकृत नहीं हुए सभी व्यक्तियों या संस्थाओं को सार्वजनिक उधारी कारोबार से प्रतिबंधित करने की तैयारी है। विधेयक के मसौदे में ‘गैर-विनियमित ऋण गतिविधियों’ को ऐसे कर्ज के रूप में परिभाषित किया गया है जो विनियमित ऋण को नियंत्रित करने वाले किसी भी कानून के दायरे में नहीं आते हैं, चाहे वे डिजिटल रूप से किए गए हों या अन्य माध्यमों से।
मसौदे में रिश्तेदारों से कर्ज को छोड़कर अन्य किसी भी गैर-विनियमित ऋण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने और उधारकर्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए एक व्यापक तंत्र बनाने की बात कही गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि अगर कोई भी ऋणदाता इस कानून का उल्लंघन करते हुए, चाहे डिजिटल रूप से या अन्य किसी माध्यम से ऋण देता है तो उसे कम-से-कम दो साल की सजा होगी जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है। उस पर दो लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
प्रस्तावित विधेयक में कर्जदारों को परेशान करने या कर्ज वसूली के लिए गैरकानूनी तरीकों का इस्तेमाल करने वाले कर्जदाताओं को तीन से लेकर 10 साल तक की कैद और जुर्माने का भी प्रावधान रखा गया है। अगर ऋणदाता, उधारकर्ता या संपत्ति कई राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों में स्थित है या कुल राशि सार्वजनिक हित को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने के लिए पर्याप्त रूप से बड़ी है तो जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी जाएगी।
डिजिटल उधारी पर गठित आरबीआई के कार्यसमूह ने नवंबर, 2021 में पेश अपनी रिपोर्ट में गैर-विनियमित उधारी पर अंकुश लगाने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने की बात कही थी। कार्यसमूह ने बिना नियमन वाले कर्ज पर प्रतिबंध लगाने के लिए नया कानून लाने जैसे कई उपाय सुझाए थे। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें धोखाधड़ी वाले ऋण ऐप के जरिये लोगों को ठगा गया। कुछ मामलों में जबरन वसूली के तरीके अपनाए जाने से दुखी होकर कर्जदारों ने आत्महत्या भी कर ली। पिछले साल प्ले स्टोर से 2,200 से अधिक लोन ऐप हटा दिए गए।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2
What's Your Reaction?