सुरक्षा परिषद ने तालिबान के खिलाफ जारी प्रतिबंधों को एक साल के लिए बढ़ाया
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के राजदूत ने तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध बढ़ाने का समर्थन किया है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने कई बार दुनिया भर के देशों से प्रतिबंध हटाने के लिए कहा था।
वाशिंगटन, (आरएनआई) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने तालिबान प्रशासन के खिलाफ प्रतिबंधित निगरानी दल के मिशन को एक साल और बढ़ा दिया है। यूएनएससी सदस्यों ने गुरुवार को एक बैठक के दौरान प्रस्ताव 2716 को मंजूरी दी। संयुक्त राष्ट्र ने इसे अफगानिस्तान की सुरक्षा और शांति के लिए आवश्यक माना है।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के राजदूत ने तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध बढ़ाने का समर्थन किया है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने कई बार दुनिया भर के देशों से प्रतिबंध हटाने के लिए कहा था। तालिबान की आतंकी गतिविधियों, महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और समावेशी सरकार की कमी ने प्रतिबंधों पर पुनर्विचार करने से रोक दिया। बता दें, चीन और रूस ने भी परिषद में प्रतिबंधों की समीक्षा के लिए कुछ भी नहीं कहा और न तो दोनों में से किसी ने भी वीटो किया। निगरानी समिति ने उन व्यक्तियों, समूहों, कंपनियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाया, जो तालिबान शासन का हिस्सा हैं। प्रतिबंधों में धन-संपत्ति जब्त करना, यात्रा प्रतिबंध और हथियारों-उपकरणों के हस्तांतरण पर रोक शामिल है।
अमेरिका ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर चिंता जताई। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधियों की संभावनाओं से चिंतित है और उम्मीद करता है कि तालिबान देश को आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनने से रोकेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अफगानिस्तान को लेकर यह बयान तब दिया था, जब उनसे इस देश को लेकर अमेरिका की चिंताओं के बारे में पूछा गया था। मिलर ने कहा था कि हम अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधियों के बढ़ने की संभावना को लेकर चिंतित हैं। हम पहले ही साफ कर चुके हैं कि हमारे पास आज भी दूसरे देशों में आतंक-रोधी अभियान चलाने की क्षमता है। लेकिन हमें उम्मीद है कि तालिबान अफगानिस्तान को आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं बनने देगा।
अफगानिस्तान के हालात को लेकर हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के सहायता मिशन ने कहा था कि देश में शिया और हजारा समुदाय के खिलाफ बीते कुछ महीनों में हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। खासकर काबुल, बल्ख, हेरात जैसे प्रांतों में। हेरात प्रांत में कुछ दिनों पहले ही शिया मुस्लिमों पर हमला भी हुआ था। वहीं, एक दिसंबर को एक बंदूकधारी के हमले में चार पुरुष और दो महिलाओं की मौत हुई थी। यह घटना हेरात प्रांत के हजारा आबादी वाले इलाके में हुई थी। मिलर ने कहा कि अफगानिस्तान में महिलाओं और बच्चियों के साथ हो रही घटनाओं को लेकर अमेरिका काफी चिंतित है। खासकर तालिबान के आने के बाद से महिलाओं के मानवाधिकारों को लगातार कुचला जा रहा है और छोटी लड़कियों को स्कूली शिक्षा या उच्च शिक्षा से दूर किया जा रहा है।
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