सुरंग के घुप अंधेरे की 'कैद' से 41 श्रमिक आए बाहर
उत्तरकाशी, (आरएनआई) उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने लिए केंद्र और राज्य सरकार की टीमें जी जान से दिन रात जुटी हुई थीं। मंगलवार सुबह टीम को सफलता मिली और सभी श्रमिक सकुशल बाहर आ पाए। खास बात ये रही कि अमेरिकी ऑगर मशीन फेल होने के बाद हाथ से खोदाई करने वाली रैट माइनर्स की टीम खेवनहार बनी। इसमें भारतीय सेना ने भी टीम की मदद की।
रैट माइनर्स एक विशेषज्ञों की टीम है जो खोदाई में एक्सपर्ट होती है। एनएचआईडीसीएल के एमडी महमूद अहमद और उत्तराखंड सरकार के सचिव डॉ. नीरज खैरवाल ने बताया, यह टीम एक मीटर प्रतिघंटा के हिसाब से खोदाई करने में माहिर है।
12 नवंबर को दिवाली के दिन उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में भूस्खलन होने से 41 श्रमिक अंदर ही फंस गए थे। 17 दिन से सभी बाहर निकले की उम्मीद लगाए रहे। उन्हें बाहर निकालने की पूरी कोशिशें होती रहीं, लेकिन हर बार कोई न कोई बाधा आने से सफलता नहीं मिल रही। 17वें दिन टीम को सफलता मिली।
पहले अमेरिका से मंगाई गई ऑगर मशीन से सुरंग में पाइप डाला जा रहा था, लेकिन लक्ष्य से 12 मीटर पहले ही बाधाएं आने की वजह से मशीन काम नहीं कर पाई। इसके बाद रैट माइनर्स की टीम को बुलाया गया था।
सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन में केंद्र व राज्य सरकार की 20 एजेंसियां जुटी रहीं। वहीं, सीएम धामी समेत राज्य सरकार के कई अधिकारी सिलक्यारा में ही डटे रहे। पीएम मोदी भी सीएम धामी से फोन पर सिलक्यारा का पल पल का अपडेट लेते रहे।
टनल के बाहर बाबा बौखनाग का मंदिर भी स्थापित किया गया। बाबा बौखनाग क्षेत्र के ईष्टदेव हैं। सभी स्थानीय लोग दिन रात श्रमिकों की सलामती के लिए पूजा पाठ करते रहे। वहीं, टीम भी मशीनों का इस्तेमाल करने से पहले पूजा करती रही।
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