सुप्रीम कोर्ट से गोवा कांग्रेस को बड़ा झटका, आठ विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका पर सुनवाई से इनकार
गोवा विधानसभा अध्यक्ष रमेश तावडकर के फैसले को चुनौती देते हुए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां से भी उसे निराशा ही हाथ लगी।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट से कांग्रेस को एक बार फिर झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने कांग्रेस के आठ विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दरअसल, गोवा विधानसभा अध्यक्ष रमेश तावडकर ने हाल ही में उस याचिका को ठुकरा दिया था, जिसमें कांग्रेस ने उन आठ विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी, जो 2022 में भाजपा में शामिल हो गए थे। विधानसभा अध्यक्ष ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि किसी पार्टी के दो-तिहाई विधायक अगर पार्टी से असहमत होते हैं, तो उन्हें अयोग्य माना जा सकता है।
इसी फैसले को चुनौती देते हुए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां से भी उसे निराशा ही हाथ लगी। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कांग्रेस नेता गिरीश चोडनकर से कहा कि वह विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ का रुख करें।
गोवा विधानसभा अध्यक्ष रमेश तावडकर ने एक नवंबर को कांग्रेस द्वारा भाजपा में शामिल होने वाले उसके आठ विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका खारिज कर दी थी। कांग्रेस नेता डोमिनिक जोआओ नोरोन्हा ने संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत 14 सितंबर 2022 को एक याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने इन विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की थी। उन्होंने दावा किया था कि इन विधायकों का भाजपा में जाना एक तरह से दलबदल है।
ये विधायक दिगंबर कामत, अलेक्सियो सेकेरा, संकल्प अमोनकर, माइकल लोबो, डेलिला लोबो, केदार नाइक, रुदोल्फ फर्नांडीज और राजेश फल्देसाई हैं। नोरोन्हा ने विधानसभा अध्यक्ष से मांग की थी कि इन विधायकों को गोवा विधानसभा के सदस्यों के रूप में काम करने से रोका जाए और उन्हें कोई लाभ न मिले।
गोवा विधानसभा के चुनाव 14 फरवरी 202 को हुए थे और नतीजे 10 मार्च को घोषित किए गए थे। भाजपा ने 40 में से 20 सीट पर जीत हासिल की। जबकि कांग्रेस ने 11 सीटें हासिल कीं। याचिका में कहा गया था कि सभी आठ विधआयक कांग्रेस के टिकट पर चुने गए थे।
इन आठ विधायकों ने 14 सितंबर 2022 को कांग्रेस विधायक दल का दो-तिहाई हिस्सा होने का दावा किया और भाजपा में शामिल होने की घोषणा की। उन्होंने संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत सुरक्षा की मांग की थी। नोरोन्हा ने आरोप लगाया कि इन विधायकों ने भाजपा में शामिल होने के लिए प्रस्ताव पारित किया था।
याचिका में यह भी कहा गया था कि इन विधायकों ने सार्वजनिक रूप से भाजपा में शामिल होने की बात स्वीकार की और स्वेच्छा से कांग्रेस पार्टी की सदस्यता छोड़ी। आठ विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के सामने विभिन्न जवाब दिए, जिसमें उन्होंने दावा किया वे कांग्रेस के कुल 11 चुने हुए सदस्यों में से दो-तिहाई हैं।
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