सुप्रीम कोर्ट: बिना 'एओआर' के वकील नहीं कर पाएंगे अदालत में प्रवेश, उपस्थिति दर्ज कराना भी हुआ जरूरी
वकील को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने और अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने का अधिकार केवल तब मिलेगा जब वह वकील'प्रतिनिधित्व का अधिकार पत्र' (एओआर) प्राप्त करेगा। इसका मतलब यह है कि वकील को कोर्ट में मुवक्किल की ओर से सुनवाई में शामिल होने से पहले संबंधित अधिकार पत्र हासिल करना जरूरी होगा।

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया जिसमें कहा कि किसी मुवक्किल की ओर से वकील को कोर्ट में पेश होने और अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने का अधिकार केवल तब मिलेगा जब वह वकील'प्रतिनिधित्व का अधिकार पत्र' (एओआर) प्राप्त करेगा। इसका मतलब यह है कि वकील को कोर्ट में मुवक्किल की ओर से सुनवाई में शामिल होने से पहले संबंधित अधिकार पत्र हासिल करना जरूरी होगा। इसके साथ ही, वरिष्ठ वकील भी एओआर के माध्यम से ही पेश हो सकेंगे और उनकी उपस्थिति कोर्ट में दर्ज करवाई जाएगी।
यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनाया गया। इन संगठनों ने 20 सितंबर 2024 के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों में संशोधन की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल एक आदेश में कहा था कि सिर्फ उन्हीं वकीलों को कोर्ट में मुवक्किल की ओर से सुनवाई के दौरान उपस्थिति दर्ज करवाने की अनुमति होगी, जिनके पास 'एओआर' का अधिकार पत्र होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि हर दिन की सुनवाई में इस बात की जानकारी दी जाएगी कि कौन सा वकील बहस करेगा।
साथ ही कोर्ट की ओर से जारी बयान में आगे बताया गया कि अगर बहस करने वाले वकील में कोई बदलाव होता है, तो यह जिम्मेदारी संबंधित 'एओआर' की होगी कि वह पहले से या सुनवाई के समय कोर्ट मास्टर को सूचित करें। इस फैसले से यह स्पष्ट हुआ है कि अब मुवक्किल की ओर से पेश होने के लिए वकीलों को उचित प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ेगा, जिससे कोर्ट में पेश होने और बहस करने के दौरान पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
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