सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ईवीएम सत्यापन की मांग का मामला, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की पीठ करेगी सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ईवीएम सत्यापन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगी। याचिका में कहा गया है कि ईवीएम सत्यापन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म बनाम केंद्र सरकार' मामले में जो आदेश दिया था, उनका पालन किया जाए।
नई दिल्ली (आरएनआई) ईवीएम सत्यापन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी। दरअसल हरियाणा के पूर्व मंत्री और पांच बार के विधायक करण सिंह दलाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के सत्यापन के लिए स्पष्ट नीति बनाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है। शुक्रवार को यह याचिका जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ के समक्ष पेश की गई, लेकिन पीठ ने कहा कि इस याचिका को मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष पेश किया जाए। जिसके बाद अब मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ईवीएम सत्यापन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगी।
याचिका में कहा गया है कि ईवीएम सत्यापन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म बनाम केंद्र सरकार' मामले में जो आदेश दिया था, उनका पालन किया जाए। दलाल ने लखन कुमार सिंगला के साथ मिलकर ये याचिका दायर की है। दोनों को हालिया विधानसभा चुनाव में दूसरे सबसे ज्यादा वोट मिले थे। याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वे ईवीएम की बर्न्ट मेमोरी या ईवीएम के चार भागों कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट, वीवीपैट और सिंबल लोडिंग यूनिट के माइक्रोकंट्रोलर की जांच कराने का प्रोटोकॉल लागू करें।
सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल एडीआर बनाम केंद्र सरकार मामले में आदेश दिया था कि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद दूसरे या तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवार चुनाव परिणाम घोषित होने के सात दिनों के भीतर संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी को ईवीएम सत्यापन की मांग का आवेदन दे सकते हैं। इसके तहत उस निर्वाचन क्षेत्र की पांच प्रतिशत ईवीएम मशीनों की बर्न्ट मेमोरी की जांच ईवीएम बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर्स करेंगे। याचिकाकर्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद चुनाव आयोग ने अभी तक इसे लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं।
चुनाव आयोग के मौजूदा एसओपी के अनुसार, ईवीएम की बेसिक जांच और मॉक पोल्स के ही निर्देश हैं, जबकि बर्न्ट मेमोरी की जांच को लेकर कोई निर्देश नहीं हैं। साथ ही वीवीपैट पर्ची की जांच में भी ईवीएम बनाने वाले इंजीनियर्स की बहुत कम संलिप्तता है। दलाल और सिंगला ने कहा है कि वे चुनाव नतीजों को चुनौती नहीं दे रहे हैं, बल्कि सिर्फ ईवीएम सत्यापन की प्रक्रिया को मजबूत करना चाहते हैं।
बर्न्ट मेमोरी का मतलब प्रोग्रामिंग चरण पूरा होने के बाद ईवीएम की मेमोरी को स्थायी रूप से लॉक करना होता है। इससे उसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। EVM में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर को वन टाइम प्रोग्रामेबल/मास्कड चिप (हार्डवेयर) में बर्न किया जाता है। इससे उस प्रोग्राम को बदलकर दोबारा नहीं लिखा जा सकता।
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