सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अतुल सुभाष की मौत का मामला, कानून की समीक्षा की उठी मांग
अतुल सुभाष की मौत का मामला अब सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है। दाखिल जनहित याचिका में अतुल सुभाष मामले का जिक्र करते हुए कहा गया कि इस घटना ने वैवाहिक कलह, दहेज निषेध कानूनों के दुरुपयोग और पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर एक राष्ट्रव्यापी बहस छेड़ दी है।
नई दिल्ली (आरएनआई) बंगलूरू में आईटी पेशेवर अतुल सुभाष के आत्महत्या करने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर दहेज और घरेलू हिंसा से जुड़े मौजूदा कानूनों की समीक्षा की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि कानूनों में सुधार के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जाए ताकि इनका दुरुपयोग रोका जा सके।
वकील विशाल तिवारी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि दहेज निषेध अधिनियम और आईपीसी की धारा 498ए का उद्देश्य विवाहित महिलाओं को दहेज की मांग और उत्पीड़न से बचाना था, लेकिन ये कानून महिलाओं के हाथ पतियों और उनके माता-पिता को परेशान करने का हथियार बन गए हैं। याचिका में अतुल सुभाष मामले का जिक्र करते हुए कहा गया कि इस घटना ने वैवाहिक कलह, दहेज निषेध कानूनों के दुरुपयोग और पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर एक राष्ट्रव्यापी बहस छेड़ दी है।
याचिका में कहा गया कि मौजूदा दहेज कानून और घरेलू हिंसा अधिनियम की समीक्षा और सुधार का समय आ गया है। ताकि इनका दुरुपयोग रोककर निर्दोष पुरुषों को बचाया जा सके और दहेज कानून का असली उद्देश्य विफल न हो। याचिका में यह भी दावा किया गया कि इन कानूनों के तहत पुरुषों को गलत तरीके से फंसाए जाने के कारण महिलाओं के खिलाफ सच्ची घटनाओं को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों, वकीलों और विधि विशेषज्ञों की समिति बनाने के अलावा विवाह पंजीकरण के दौरान दिए गए सामान या उपहारों को रिकॉर्ड करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। याचिका में 2010 के एक मामले में शीर्ष अदालत की टिप्पणियों पर अमल करने की भी मांग की गई, जिसमें न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के दुरुपयोग को चिह्नित किया था।
याचिका में कहा गया है, दहेज के मामलों में पुरुषों को गलत तरीके से फंसाने की कई घटनाएं और मामले सामने आए हैं, जिसके कारण बहुत दुखद अंत हुआ है और इससे हमारी न्याय और आपराधिक जांच प्रणाली पर भी सवाल उठे हैं। याचिकाकर्ता ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर ऐसे झूठे दहेज मामलों के खिलाफ चेतावनी जारी की और सरकार तथा विधानमंडल से इस मुद्दे पर गौर करने को कहा है लेकिन सरकार ने झूठे दहेज मामलों से निपटने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष आत्महत्या मामले की जांच के लिए जौनपुर पहुंची बंगलुरू पुलिस ने शुक्रवार को सबसे पहले डाक बंगला स्थित निकिता के ताऊ के आवास पर नोटिस चस्पा किया। इसके बाद ढालगर टोला स्थित निकिता के घर पर नोटिस चिपकाया गया। इसमें सभी को अगले तीन दिन में उपस्थित होने को कहा गया है।
अतुल सुभाष के भाई विकास ने बंगलुरू के मराठाहल्ली थाने में सोमवार को निकिता, उसकी मां निशा सिंघानिया, भाई अनुराग उर्फ गोलू सिंघानिया व ताऊ सुशील सिंघानिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले की जांच के लिए बंगलुरू पुलिस की चार सदस्यीय टीम बृहस्पतिवार शाम करीब 7 बजे जौनपुर पहुंची थी। शहर कोतवाली थाने में सीओ सिटी आयुष श्रीवास्तव के साथ करीब दो घंटे तक विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की थी।
शुक्रवार सुबह 11 बजे कोतवाली पुलिस के साथ बंगलुरू पुलिस टीम ने सबसे पहले लाइन बाजार के डाक बंगले के पास स्थित निकिता के ताऊ सुशील सिंघानिया के घर के बाहर नोटिस चस्पा किया। फिर निकिता के आवास पर पहुंची। नोटिस में निकिता को अगले तीन दिन में मराठाहल्ली थाने में पेश होने को कहा गया है।
नोटिस चस्पा करने के बाद बंगलुरू पुलिस की टीम कोतवाली पहुंची और करीब 40 मिनट तक मंथन के बाद 12:20 बजे दीवानी न्यायालय पहुंची। टीम ने प्रशासनिक कक्ष में अतुल सुभाष मोदी पर दर्ज मुकदमे की पत्रावलियों के विषय में जानकारी ली। फिर सीजेएम कार्यालय में पत्रावलियों की नकल के लिए प्रार्थनापत्र दिया।
करीब दो घंटे बाद अनुमति मिलते ही दहेज उत्पीड़न के मुकदमे की नकल प्राप्त की। इसके बाद टीम परिवार न्यायालय की जज रीता कौशिक की कोर्ट पहुंची। कोर्ट के आदेश पर दहेज उत्पीड़न के मामले की प्राथमिकी, चार्जशीट, आरोपी रहे अतुल के अलावा पवन, अंजु व विकास की जमानत की कॉपी, केस डायरी, हाईकोर्ट का आदेश व अन्य दस्तावेज टीम को उपलब्ध कराए गए।
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