सुप्रीम कोर्ट ने पार्थ चटर्जी की जमानत को लेकर ईडी से पूछे सवाल
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ चटर्जी द्वारा पश्चिम बंगाल में सहायक प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में रिश्वतखोरी के आरोपों पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है।
नई दिल्ली (आरएनआई) बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी दो साल से अधिक समय से राज्य स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) भर्ती घोटाले मामले में जेल में बंद हैं। ऐसे में, चटर्जी की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा सवाल उठाया। उसने ईडी से पूछा कि आरोपी को बिना ट्रायल के लंबे समय तक हिरासत में कब तक रखा जा सकता है?
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि चटर्जी दो साल चार महीने से जेल में बंद हैं और मामले की सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है।
पीठ ने ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा, 'अगर हम जमानत नहीं देंगे तो क्या होगा? सुनवाई अभी शुरू होनी है, मामलों में 183 गवाह हैं। ट्रायल में समय लगेगा। हम उन्हें कब तक रख सकते हैं? यही सवाल है। यहां एक ऐसा मामला है जहां दो साल से अधिक समय बीत चुका है। ऐसे मामले में संतुलन कैसे बनाया जाए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस बात को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते कि पूर्व मंत्री के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। पीठ ने एसजी से पूछा, 'अगर अंत में उन्हें दोषी नहीं ठहराया जाता है, तो क्या होगा? ढाई से तीन साल तक इंतजार करना कोई छोटी अवधि नहीं है। आपकी दोषसिद्धि दर क्या है? अगर सजा की दर 60-70 फीसदी होती तो समझ में आता है लेकिन सजा की दर बहुत कम है।
चटर्जी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बताया कि 73 साल के पूर्व मंत्री कई बीमारियों से पीड़ित हैं। उन्हें 23 जुलाई, 2022 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में थे। अब इस मामले में अगली सुनवाई दो दिसंबर को की जाएगी और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट जमानत पर अपना आदेश जारी करेगी।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ चटर्जी द्वारा पश्चिम बंगाल में सहायक प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में रिश्वतखोरी के आरोपों पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान चटर्जी की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, याचिकाकर्ता जमानत चाहता है और उसे 23 जुलाई 2022 को गिरफ्तार किया गया था। मामले में अभी तक ट्रायल शुरू नहीं हुआ है। इस केस में 183 गवाह हैं और चार पूरक अभियोजन शिकायतें हैं। उनकी उम्र 73 साल है। वह एक मंत्री थे जिन पर नकदी के लिए नौकरी के मामले में आरोप लगाया गया था। पीएमएलए के तहत कारावास की अवधि सात साल हो सकती है और उन्होंने ढाई साल जेल में बिताए हैं।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'हम उनको कितने समय तक सलाखों के पीछे रख सकते हैं। यह ऐसा मामला है जिसमें करीब दो साल चार महीने बीत चुके हैं और सुनवाई शुरू होने में भी समय लगता है। हम जानते हैं कि यह आपके लिए एक बहुत बड़ा और मैराथन काम है। हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि आरोप बहुत गंभीर हैं और मंत्री नकद ले रहे हैं।'
जस्टिस भुइयां ने कहा, अगर अंतिम विश्लेषण में उनको दोषी नहीं ठहराया जाता है तो क्या होगा। बीते तीन सालों का क्या होगा। आपकी सजा दर क्या है? अगर यह 60-70 फीसदी है, तो हम समझ सकते हैं लेकिन यह बहुत खराब है। ईडी की ओर से एएसजी ने जवाब दिया कि मामले को केस-टू-केस आधार पर देखा जाना चाहिए।
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। सुनवाई के दौरान पार्थ चटर्जी की ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि वो पिछले दो साल दो महीने से जेल में हैं। अब उन्हें जमानत मिलनी चाहिए। अप्रैल में कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री पार्थ चटर्जी को जमानत देने से मना कर दिया था।
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