दिल्ली के कचरे का उचित निपटारा मामला: सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम के अधिकारियों को लगाई फटकार
जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि कचरे का उचित निपटारा मामला दिल्ली के लिए काफी महत्वपूर्ण है और इसमें कोई राजनीति शामिल नहीं होनी चाहिए।
नई दिल्ली (आरएनआई) दिल्ली में कचरे का कानून के तहत उचित तरीके से निपटान नहीं किया जा रहा है। कचरे का उचित निपटारा नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम के अधिकारियों को फटकार लगाई। साथ ही स्थिती पर खेद जताया।
शीर्ष अदालत ने पाया था कि राजधानी में रोज निकलने वाले 11,000 टन ठोस कचरे में से 3,000 टन का कानून के तहत उचित तरीके से निपटान नहीं किया जाता है।
जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने दिल्ली नगर निगम समेत कई प्राधिकारों की ओर से पेश वकीलों से पूछा कि इसका समाधान क्या है। पीठ ने कहा कि कचरे का उचित निपटारा मामला दिल्ली के लिए काफी महत्वपूर्ण है और इसमें कोई राजनीति शामिल नहीं होनी चाहिए।
पीठ ने कहा कि मामले में सुनवाई समाप्त हो चुकी है। लेकिन फिर से सुनवाई होगी। इस मामले पर 22 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह चौंकाने वाली बात है कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियम, 2016 को अस्तित्व में आए आठ साल बीत जाने के बाद भी दिल्ली में इसका पूरी तरह से पालन नहीं हो रहा है। कोर्ट ने कहा था कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की रिपोर्ट से साफ है कि दिल्ली से रोजाना औसतन 11,000 टन ठोस कचरा निकलता है, जिसमें से हर दिन सिर्फ 8,000 टन का ही निपटारा हो पाता है।
कोर्ट ने कहा था कि इससे साफ है कि राजधानी में हर रोज 3,000 टन ठोस कचरे का कानून के तहत निपटान नहीं किया जाता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद और दिल्ली छावनी बोर्ड को नोटिस जारी किया था और जवाब देने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण पर निगरानी के लिए गठित एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन की एक रिपोर्ट पर विचार करते हुए कहा था कि यह एक गंभीर मुद्दा है।
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