सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रेपेजियम इलाके में पेड़ों की गणना पर दिया जोर, कहा- कोई पेड़ अवैध रूप से न कटे
देश की सर्वोच्च अदालत ने ताज ट्रेपेजियम क्षेत्र में पेड़ों की गणना के साथ-साथ निगरानी और उनकी अवैध तरीके से कटाई को लेकर निर्देश दिया है। बता दें कि ये क्षेत्र उत्तर प्रदेश के कई जिलों के साथ-साथ राजस्थान के भरतरपुर जिले तक फैला है।
नई दिल्ली (आरएनआई) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मौजूदा पेड़ों की गणना की जरूरत पर बल दिया और यह सुनिश्चित करने के लिए निगरानी रखने की व्यवस्था की महत्वतता पर बल दिया कि ताज ट्रेपेजियम क्षेत्र (टीटीजेड) में कोई भी पेड़ अवैध रूप से न काटा जाए। बता दें कि ताज ट्रेपेजियम क्षेत्र लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जो उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों के साथ-साथ राजस्थान के भरतपुर जिले में भी फैला हुआ है।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने टीटीजेड में पेड़ों की अनधिकृत कटाई के मुद्दे को उठाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी अवैध कटाई को रोकने के लिए क्षेत्र में मौजूदा पेड़ों की गणना आवश्यक है। पीठ ने कहा, 'प्रथम दृष्टया हमारा मानना है कि ताज ट्रेपेजियम क्षेत्र में मौजूदा पेड़ों की गणना की जानी चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए निगरानी रखने की व्यवस्था होनी चाहिए कि पेड़ों की अनधिकृत कटाई न हो।' पीठ ने कहा कि किसी को मौजूदा पेड़ों की गणना करनी होगी और क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई का पता लगाने के लिए कोई व्यवस्था होनी चाहिए।
संबंधित अधिकारियों की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि या तो केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति इसकी निगरानी कर सकती है या राज्य वन विभाग इस गतिविधि को अंजाम दे सकता है। एमिकस क्यूरी के रूप में शीर्ष अदालत की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एडीएन राव ने सुझाव दिया कि जहां भी पेड़ों की कटाई होती है, संबंधित पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा, हम ऐसा कर सकते हैं। लेकिन आज, इस बात का कोई आंकड़ा नहीं है कि कितने पेड़ मौजूद हैं, कितने पेड़ अस्तित्व में हैं। पीठ ने कहा कि जब तक पेड़ों की गणना नहीं की जाती, तब तक इस मुद्दे का समाधान नहीं होगा। इसके साथ ही पीठ ने सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की। शीर्ष अदालत पर्यावरण संबंधी चिंताओं और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल ताजमहल और उसके आसपास के क्षेत्रों समेत ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
इस मामले में 14 अक्तूबर को एक अलग आवेदन पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि अधिकारियों की तरफ से टीटीजेड में अनिवार्य वनरोपण के बारे में उसके निर्देश का अनुपालन नहीं किया जाता है, तो वह भूमि या राजमार्गों को ध्वस्त करने और उनकी मूल स्थिति को बहाल करने का आदेश देगा।
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