सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूछा- आखिर ऐसा कौन सा सबूत सामने आया, जिस पर हुई केजरीवाल की गिरफ्तारी
शीर्ष अदालत दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए यह सवाल किया।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय से पूछा कि ऐसा कौन सा नया सबूत सामने आया, जिसके आधार पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया। शीर्ष अदालत दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए यह सवाल किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस बीच केजरीवाल जमानत के लिए आवेदन करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने मामले के लिखित रिकॉर्ड पर गौर किया। पीठ ने ईडी से यह दिखाने के लिए एक चार्ट दाखिल करने को कहा कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल को गिरफ्तार करने के फैसले को सही ठहराने के लिए कौन से नए सबूत सामने आए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के उस गवाह के बयान पर सवाल उठाए, जिसने पहले अरविंद केजरीवाल को नाम नहीं लिया था।
सुनवाई के दौरान केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि जब केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया था तो फैसले का बचाव करने के लिए अब जिस सामग्री का हवाला दिया जा रहा है वह मौजूद नहीं थी। उन्होंने कहा कि जिस सामग्री के आधार पर गिरफ्तारी की गई है वह जुलाई, अगस्त 2023 से पहले की है। ये सभी सामग्री सिसौदिया मामले में थे, तो केजरीवाल मामले में नया क्या है। गोवा चुनाव में रिश्वत के धन के इस्तेमाल के आरोपों पर सिंघवी ने कहा, आरोप 100 करोड़ का है। यह अगस्त 2023 का आरोप है। केजरीवाल को इस साल मार्च में गिरफ्तार किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा कोई गवाह का बयान नहीं है जो कहता हो कि पैसा केजरीवाल को दिया गया था।
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, हवाला ऑपरेटरों को अब गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि ईडी ने साबित कर दिया है कि रिश्वत हवाला के जरिए भेजी गई थी और फिर गोवा में चुनाव अभियान संभालने वाले दो व्यक्तियों द्वारा इसे वितरित किया गया था। इस पर न्यायालय ने पूछा कि क्या इसका उल्लेख 'विश्वास करने के कारणों' में किया गया था जब धारा 19 पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी की गई थी। एएसजी राजू ने कहा कि 'विश्वास करने का कारण' आरोपी को नहीं दिया गया है तो अदालत ने पूछा कि जब इसकी आपूर्ति नहीं की जाएगी तो आरोपी गिरफ्तारी को कैसे चुनौती देगा।
राजू ने जवाब में कहा, 'विश्वास करने का कारण' ईडी अधिकारी के पास मौजूद होता है। आपराधिक कानून में वे आरोपपत्र दायर करने से पहले किसी भी प्रति के हकदार नहीं हैं। अन्यथा सबूतों से छेड़छाड़ की जाएगी और गवाहों को धमकी दी जाएगी। इस पर न्यायालय ने टिप्पणी की कि जांच अधिकारी को धारा 19 के तहत गिरफ्तारी की शक्ति का प्रयोग तब तक नहीं करना चाहिए जब तक कि उनके पास यह दिखाने के लिए पर्याप्त सामग्री न हो कि वह दोषी है। एएसजी राजू ने यह भी तर्क दिया कि यदि गिरफ्तारी की ऐसी याचिका पर विचार किया जाता है तो यह भानुमति का पिटारा खोलना होगा। बहराल, दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत में अपना फैसला रख लिया।
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