सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए अध्यक्ष के माफीनामे के प्रारूप की आलोचना की, छोटे फॉन्ट के चलते बताया अपठनीय
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने आरवी अशोकन के वकील पीएस पतवालिया को निर्देश दिया कि वह उन अखबारों की 20 प्रतियां अदालत में पेश करें, जिनमें माफीनामा प्रकाशित कराया गया था।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष आर वी अशोकन के माफीनामे के प्रारूप की आलोचना की है। अशोकन ने पतंजलि मामले में सुप्रीम कोर्ट को लेकर कुछ ऐसी टिप्पणी की थी, जिन पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद कोर्ट ने अशोकन को अखबार में माफीनामा प्रकाशित करने का निर्देश दिया था। अब उस माफीनामे की सुप्रीम कोर्ट ने आलोचना की और कहा कि माफीनामा का फॉन्ट छोटा है और यह अपठनीय है।
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने आरवी अशोकन के वकील पीएस पतवालिया को निर्देश दिया है कि वह उन अखबारों की 20 प्रतियां अदालत में पेश करें, जिनमें माफीनामा प्रकाशित कराया जाएगा। पीठ ने कहा कि 'हम तब तक पीछे नहीं हटेंगे, जब तक हम अखबार में अपनी आंखों से माफीनामे को न देख लें। ताकि पता चल सके कि यह किस साइज में छपा है। हमारे सामने जो माफीनामा है, वह अपठनीय है और इसका फॉन्ट भी छोटा है।' इससे पहले 9 जुलाई को आईएमए अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपने बयानों के लिए बिना किसी शर्त के माफी मांगी थी।
एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में आरवी अशोकन ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड मामले में कुछ ऐसी टिप्पणियां की थी, जिन पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अशोकन को उनके बयानों के लिए अखबार में माफीनामा छपवाने का निर्देश दिया था। बीती 14 मई को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अशोकन को फटकार लगाते हुए कहा था कि आप सोफे पर बैठक इंटरव्यू देते हुए न्यायालय का मजाक नहीं उड़ा सकते। कोर्ट ने कहा कि वह हलफनामा पेश कर माफी को स्वीकार नहीं करेगा।
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