आरएसएस नेता हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट आरोपियों की जमानत के खिलाफ याचिका पर विचार करने को राजी
सुप्रीम कोर्ट ने केरल के पलक्कड़ जिले में आरएसएस नेता श्रीनिवासन की 2022 में हुई हत्या के मामले में पीएफआई के 17 आरोपियों की जमानत के खिलाफ एनआईए की याचिका पर विचार करने पर सहमति जताई है।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की उस याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया है, जिसमें केरल के पलक्कड़ जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता श्रीनिवासन की हत्या के मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के 17 आरोपियों की जमानत को चुनौती दी गई है। श्रीनिवासन की हत्या 2022 में हुई थी।
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने शुक्रवार को आरोपियों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है। कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि उसके निर्देशों के बावजूद छह याचिकाएं सूचीबद्ध नहीं की जा रही हैं।
पीठ ने कहा, जब कोर्ट ने विशेष रूप से इस पीठ को सौंपे गए मामलों को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है, तो रजिस्ट्री इस आधार पर मामले को सूचीबद्ध करने से इनकार नहीं कर सकती कि प्रक्रियागत पहलुओं का अनुपालन नहीं किया गया है। यह तो आदेश की अवहेलना हुई। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि अब सभी मामले पीठ के आदेश के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी, 2025 तय की है।
केरल हाईकोर्ट ने 25 जून को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के 17 आरोपी सदस्यों को जमानत दे दी थी। ये सभी राज्य और देश के अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। 26 आरोपियों में से 17 को जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने कड़ी शर्तें लगाईं थीं। इसमें जांच अधिकारी के साथ अपने सेलफोन नंबर और वास्तविक समय के जीपीएस लोकेशन को साझा करना शामिल है। इसके अलावा, आरोपियों को केरल न छोड़ने, अपने पासपोर्ट जमा करने और अपने सेलफोन को चौबीसों घंटे चार्ज और चालू रखने का आदेश दिया गया था।
पीठ ने 17 आरोपियों को विशेष अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश भी दिया और कहा था कि विशेष अदालत आवश्यक समझे तो इन्हें शर्तों पर जमानत पर रिहा कर सकती है। प्रारंभ में 16 अप्रैल, 2022 को श्रीनिवासन की हत्या के सिलसिले में 51 लोगों को आरोपी बनाया गया था। पकड़े गए लोगों में से एक की मौत हो गई और सात अन्य को गिरफ्तार नहीं किया जा सका, क्योंकि वे फरार हो गए थे। शेष के खिलाफ जुलाई और दिसंबर, 2022 में दो चरणों में आरोपपत्र दाखिल किए गए थे।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2
What's Your Reaction?