सुधार, राष्ट्रवाद और तकरार के नाम रही 17वीं लोकसभा
पहले कार्यकाल में हिंदूवादी एजेंडे पर नरम रुख अपनाती दिखी मोदी सरकार ने दूसरे कार्यकाल में तेजी दिखाई। सुधारों की पटरी पर भी तेजी से दौड़ी। कई पुराने कानून निरस्त करने के साथ उद्योग क्षेत्र में पारदर्शिता के लिए अहम प्रयास किए।
नई दिल्ली (आरएनआई) मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल और 17वीं लोकसभा बड़े सुधारों, हिंदुत्व के साथ राष्ट्रवाद और सरकार और विपक्ष के बीच तकरार के नाम रही। मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले ही साल अनुच्छेद 370, 35ए को निरस्त करने, तीन तलाक को दंडनीय अपराध घोषित करने और नागरिकता संशोधन कानून बनाने को लेकर चर्चा में रही। सरकार और विपक्ष के बीच पैगासस जासूसी, अदाणी समूह से जुड़ी विदेशी फर्म की रिपोर्ट और संसद की सुरक्षा चूक पर जमकर तकरार हुई। मामला इतना बढ़ा कि बीते शीतकालीन सत्र में संसद ने 146 सांसदों को निलंबित करने का कीर्तिमान बनाया।
पहले कार्यकाल में हिंदूवादी एजेंडे पर नरम रुख अपनाती दिखी मोदी सरकार ने दूसरे कार्यकाल में तेजी दिखाई। सुधारों की पटरी पर भी तेजी से दौड़ी। कई पुराने कानून निरस्त करने के साथ उद्योग क्षेत्र में पारदर्शिता के लिए अहम प्रयास किए। इसी कार्यकाल में भाजपा-जनसंघ के तीन सबसे अहम एजेंडों में से दो राम मंदिर निर्माण और अनुच्छेद 370 की समाप्ति पर मुहर लगी।
इस लोकसभा में सरकार और विपक्ष के बीच पैगासस जासूसी कांड, अदाणी समूह के खिलाफ विदेशी फर्म की रिपोर्ट और शीतकालीन सत्र में दो युवकों के सुरक्षा घेरा तोड़कर लोकसभा में प्रवेश पर जमकर तकरार हुई। इसी क्रम में सरकार तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के मामले में विपक्ष के साथ किसान वर्ग के विरोध में ऐसी उलझी कि उसे तीनों कानून वापस लेने पड़े। संसद की सुरक्षा चूक के सवाल पर हंगामे के चलते चार कार्यदिवस में विपक्ष के 146 सांसद निलंबित किए गए।
नई लोकसभा में ही नया संसद भवन बना। इसके निर्माण और उद्घाटन के सवाल पर सरकार और विपक्ष में जमकर तकरार हुई। नए भवन का राष्ट्रपति की जगह पीएम से उद्घाटन कराने पर विपक्ष ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य बिल, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता, डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक।
17वीं लोकसभा 20 खाली सीटों के साथ विघटित होने जा रही है। पिछले एक वर्ष में लोकसभा के लिए कोई उपचुनाव नहीं हुआ है। मार्च 2023 में भाजपा सांसद गिरीश बापट के निधन के बाद से पुणे सीट सबसे लंबे समय से रिक्त है। सुप्रीम कोर्ट ने वहां उपचुनाव नहीं कराने के लिए निर्वाचन आयोग को फटकार भी लगाई थी। संसद की सबसे ज्यादा 15 सीटें सांसदों के विधायक बनने से रिक्त हुई हैं। इनमें सबसे ज्यादा 11 सीटें भाजपा सांसदों की हैं।
17वीं लोकसभा ज्यादा शिक्षित और युवा रही। लैंगिक अनुपात भी बेहतर था। 70 वर्ष से अधिक उम्र के सांसदों की संख्या कम हुई, तो 40 से कम उम्र वालों की बढ़ी। औसत उम्र 54 वर्ष आंकी गई। औसत उम्र में महिला सांसद ज्यादा युवा थीं। सांसदों में करीब 400 स्नातक हैं। कम से कम 12वीं तक पढ़े सांसदों का अनुपात भी बढ़ा। 40 वर्ष से कम उम्र के सांसद पहली लोकसभा में 26% थे, जो 16वीं लोकसभा तक महज 8% रह गए। 17वीं लोकसभा में यह 12 प्रतिशत थे।
2019 में 716 महिला प्रत्याशियों में से 78 जीतकर आईं। यानी करीब 14 फीसदी। वर्तमान में 77 महिलाएं हैं। पिछली लोकसभा में महिला सांसद 62 थीं। पहली लोकसभा में महज 5 प्रतिशत महिला सांसद थीं। अनुपात अब भी रवांडा (61प्रतिशत), दक्षिण अफ्रीका (43), यूनाइटेड किंगडम (32), अमेरिका (24) और बांग्लादेश (21 प्रतिशत) से काफी कम है। महिला आरक्षण विधेयक पास होने से अब प्रतिनिधित्व और बढ़ने की उम्मीद है।
लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के 303 सदस्य थे, जो आखिरी बैठक में 290 रह गए। कारण, हाल में विधानसभा चुनावों में उतरे व जीते सदस्यों के इस्तीफे थे। राष्ट्रीय दलों से 397 सांसद चुने गए। कांग्रेस से 52 सांसद थे, इनमें से 48 बचे हैं।
Follow the RNI News channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2Xp81Z
What's Your Reaction?