सुकमा मुठभेड़ की जांच याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने टाली सुनवाई, कहा- वहां शांति प्रक्रिया चल रही
सुकमा में 2018 में हुई मुठभेड़ में 15 नक्सलियों की मौत के मामले की जांच एसआईटी और सीबीआई से कराने मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी। कोर्ट ने कहा कि अब वहां शांति प्रक्रिया चल रही है। खबर है कि आज भी 26 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है।

नई दिल्ली (आरएनआई) छत्तीसगढ़ के सुकमा में 2018 में हुई मुठभेड़ में 15 नक्सलियों की मौत के मामले की स्वतंत्र जांच वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने टाल दिया है। कोर्ट ने कहा कि वहां अभी शांति प्रक्रिया चल रही है। याचिका पर जुलाई में सुनवाई होगी।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि हम जुलाई में इस पर सुनवाई करेंगे। अब वहां शांति प्रक्रिया चल रही है। खबर है कि आज भी 26 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। इस तरह के मुकदमे शांति प्रक्रिया के आड़े आएंगे। जुलाई में मामले को पोस्ट करते हुए पीठ ने कहा कि मणिपुर में भी दोनों पक्ष राज्य में शांति चाहते हैं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों का मनोबल गिराने के लिए तेलंगाना के एक एनजीओ ने याचिका दायर की थी। याचिका में झूठे बयान दिए गए थे और संबंधित अधिकारी ने याचिका के स्रोत की शीर्ष अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था। उन्होंने कहा कि ओडिशा और गढ़चिरौली में हुई घटनाओं की कुछ झूठी तस्वीरें याचिका में लगाई गईं थीं और जब इस ओर ध्यान दिलाया गया तो याचिकाकर्ता ने कहा कि यह एक गलती थी।
इससे पहले छत्तीसगढ़ सरकार ने याचिका का विरोध किया था। सरकार ने कहा था कि याचिका में फर्जी दावे किए गए हैं। याचिका में संलग्न तस्वीरें कथित घटना की नहीं हैं। याचिका में मुठभेड़ की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की मांग की गई है। दो अप्रैल को छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने दावा किया कि वे माओवादियों के साथ बिना शर्त शांति वार्ता के लिए पहले से ही तैयार हैं।
दो अप्रैल को ही सोशल मीडिया पर प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के नाम से एक बयान प्रसारित किया गया था। इसमें संघर्ष विराम के लिए शर्तें रखी गई थीं। शर्तों में नक्सल विरोधी अभियान रोकना और सुरक्षा बलों के नए शिविरों की स्थापना को रोकना शामिल था। प्रतिबंधित समूह ने केंद्र और राज्य सरकारों से शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए कहा था।माओवादियों की केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय का यह बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे से दो दिन पहले सामने आया।
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