सीवर की मैनुअल सफाई को पूरी तरह से खत्म करने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
शीर्ष अदालत ने 2023 में केंद्र और राज्यों को उचित उपाय करने, नीतियां बनाने और निर्देश जारी करने का निर्देश दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मैनुअल सीवर सफाई को चरणबद्ध तरीके से पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए।
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नई दिल्ली (आरएनआई) देश की सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को केंद्र सरकार को मैनुअल सीवर सफाई को चरणबद्ध तरीके से पूरी तरह से खत्म करने के लिए अपने निर्देश के अनुपालन पर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और अरविंद कुमार की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वे दो सप्ताह के भीतर सभी हितधारकों के साथ केंद्रीय निगरानी समिति की बैठक बुलाएं।
ये समिति मैनुअल स्कैवेंजर के रूप में रोजगार के निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 (एमएस अधिनियम, 2013) के कार्यान्वयन की समीक्षा करती है। पीठ ने कहा, न्यायालय की तरफ से पारित आदेश (2023 में) में कहा गया था कि प्रौद्योगिकी के विकास को देखते हुए, मैनुअल स्कैवेंजिंग और सीवर सफाई के लिए श्रमिकों के रोजगार को पूरी तरह से खत्म करना संभव है। ऐसा नहीं किया गया है। रिपोर्ट से ऐसा लगता है कि बहुत कुछ करने की जरूरत है।
वरिष्ठ अधिवक्ता के परमेश्वर, जो न्यायालय में न्याय मित्र के रूप में सहायता कर रहे हैं, ने कहा कि 2024 में सीवर सफाई और सेप्टिक टैंक की सफाई के कारण 40 मौतें हुईं, लेकिन कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। उन्होंने कहा कि अधिनियम के तहत अनिवार्य अधिकांश समितियां मौजूद नहीं थीं और कानूनों का पालन न करने की ओर इशारा किया। मामला जनवरी, 2025 में आएगा।
यह देखते हुए कि भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा, जो हाथ से मैला ढोने के काम में शामिल है, अनसुना और मूक बना हुआ है, बंधन में है और व्यवस्थित रूप से अमानवीय परिस्थितियों में फंसा हुआ है, शीर्ष अदालत ने 2023 में केंद्र और राज्यों को उचित उपाय करने, नीतियां बनाने और निर्देश जारी करने का निर्देश दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मैनुअल सीवर सफाई को चरणबद्ध तरीके से पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए।
शीर्ष अदालत ने केंद्र से दिशा-निर्देश और निर्देश जारी करने को कहा था कि किसी भी सीवर-सफाई के काम को आउटसोर्स किया जाए या ठेकेदारों या एजेंसियों के माध्यम से किया जाना आवश्यक हो, उसमें व्यक्तियों को सीवर में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं है। इससे पहले न्यायालय ने कई निर्देश जारी करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से सीवर की सफाई के दौरान मरने वालों के परिजनों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा था।
न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे सभी विभागों, एजेंसियों और निगमों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित करें कि केंद्र की तरफ से तैयार दिशा-निर्देशों और निर्देशों को उनके अपने दिशा-निर्देशों में शामिल किया जाए। न्यायालय ने आगे निर्देश दिया था कि किसी भी विकलांगता से पीड़ित सीवर पीड़ितों के मामले में न्यूनतम मुआवजा 10 लाख रुपये से कम नहीं होगा। न्यायालय ने कहा कि यदि विकलांगता स्थायी थी और पीड़ित आर्थिक रूप से असहाय हो गया था, तो मुआवजा 20 लाख रुपये से कम नहीं होना चाहिए।
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