सीबीआई की यासीन मलिक के खिलाफ दिल्ली की तिहाड़ जेल में ही मुकदमा चलाने की मांग, शीर्ष अदालत ने जारी किया नोटिस

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यासीन मलिक और अन्य आरोपियों को 18 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है।

Nov 28, 2024 - 15:00
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सीबीआई की यासीन मलिक के खिलाफ दिल्ली की तिहाड़ जेल में ही मुकदमा चलाने की मांग, शीर्ष अदालत ने जारी किया नोटिस

नई दिल्ली (आरएनआई) जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी यासीन मलिक के खिलाफ जम्मू में चल रहे ट्रायल को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग वाली सीबीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी। जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ मामले में सुनवाई कर रही है। सीबीआई  सुरक्षा कारणों से यासीन को जम्मू में पेश करने का विरोध कर रही है। यह पेशी रुबिया अपहरण केस और वायु सेना अधिकारी हत्या केस में होनी है। फिलहाल यासीन तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। 

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मलिक और अन्य आरोपियों को 18 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है।

मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि तिहाड़ जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई करने की सुविधा पहले से उपलब्ध है। उसे अदालत ले जाने की जरूरत नहीं है। एसजी ने बताया कि तिहाड़ जेल में कोर्ट लगता है, इससे पहले भी कई मामले की सुनवाई होती रही है।

एसजी मेहता ने कहा, 'हमने कॉज टाइटल में संशोधन के लिए आवेदन दायर किया है। हमने इस तथ्य को भी रखा है कि जेल में पहले से ही एक अदालत मौजूद है, जिसमें आवश्यकता पड़ने पर वीडियो कांफ्रेंसिंग की सभी सुविधाएं भी हैं। पहले भी कार्यवाही जेल में उस अदालत कक्ष में हो चुकी हैं।

शीर्ष अदालत जम्मू ट्रायल कोर्ट के 20 सितंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे मलिक को निर्देश दिया गया था कि उन्हें राजनेता मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण के मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करने के लिए शारीरिक रूप से पेश किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट में यह मामला 2022 से लंबित है। तब सीबीआई ने जम्मू की विशेष टाडा कोर्ट के उन आदेशों को चुनौती दी थी जिनमें दो अलग-अलग मामलों में यासीन मलिक को व्यक्तिगत रूप से पेश करने के लिए कहा गया था। जम्मू की कोर्ट ने सितंबर 2022 में यह प्रोडक्शन वारंट रुबिया सईद अपहरण केस और वायु सेना के चार अधिकारियों की हत्या केस में जारी किए थे।

सीबीआई ने अपनी याचिका में कहा था कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद मलिक को सुरक्षा कारणों से जम्मू नहीं ले जाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में ही जम्मू कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।

पिछली सुनवाई में सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जम्मू स्पेशल कोर्ट का कहना है कि यह अनुकूल नहीं है कि उसे व्यक्तिगत रूप से पेश करें। हम यासीन मलिक को जम्मू-कश्मीर नही ले जाना चाहते हैं। जिसपर जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में जिरह कैसे हो सकती है। एसजी ने कहा था कि अगर वह व्यक्तिगत रूप से पेश होने पर अड़े है तो मुकदमा दिल्ली में ट्रांसफर किया जाए। एसजी ने कहा था कि यासीन मलिक सिर्फ एक आतंकवादी नहीं है। कोर्ट ने एसजी से बताने को कहा था कि मुकदमे में कितने गवाह हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमारे देश में अजमल कसाब तक को निष्पक्ष सुनवाई दी गई है। जिसपर एसजी ने कहा था कि सरकार ऐसे मामलों में किताबों के अनुसार नहीं चल सकती है। यासीन मलिक ने अक्सर पाकिस्तान की यात्रा की और हाफिज सईद के साथ मंच साझा किया है। कोर्ट ने कहा था कि हां, जेल में एक कोर्ट रूम बनाया जा सकता है और वहां ऐसा किया जा सकता है। एसजी ने कहा था कि गुजरात में तो जेल में भी मुकदमा चला था। जिसके बाद कोर्ट ने सीबीआई को संशोधित याचिका दायर करने की अनुमति दे दी है। साथ ही कोर्ट ने एक हफ्ते में इस केस से जुड़े सभी आरोपियों को पार्टी बनाने की अनुमति भी दे दी है।

यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट लाए जाने के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को पत्र लिखकर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा था कि यासीन मलिक आतंकवादी और अलगाववादी पृष्टभूमि वाला यासीन मलिक जैसा व्यक्ति जो कि ना सिर्फ आतंकबादी गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने के मामले में दोषी है, बल्कि जिसके पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध है। वह भाग सकता था या उसे जबरन अगवा किया जा सकता है या फिर उसकी हत्या की जा सकती थी।

उन्होंने कहा था कि अगर कोई अप्रिय घटना हो जाती तो सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद की 1989 में हुई अपहरण के मामले में जम्मू की निचली अदालत 20 सितंबर 2022 को पारित आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रहे थी। उसी उसी दौरान यासीन मलिक अदालत में पेश हुआ था।

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