सीजेआई ने केस वापसी के लिए अग्रिम पत्र भेजने की वकालत की, बोले- इससे अदालत की दक्षता बढ़ेगी
बुधवार को सीजेआई ने वकीलों को पारिवारिक विवाद मामले में स्थानांतरण याचिका पर सुनवाई करते समय मौखिक प्रस्तुतियां देने के बजाय केस वापसी के लिए अग्रिम पत्र दाखिल करने का सुझाव दिया।
नई दिल्ली (आरएनआई) भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने बुधवार को अदालती कामकाज को बेहतर करने के लिए पूर्व-संचार के महत्व पर जोर दिया। सीजेआई ने सुझाव दिया कि वकील सुनवाई के दौरान मौखिक प्रस्तुति देने के बजाय केस वापसी के लिए अग्रिम पत्र प्रस्तुत करें। सीजेआई ने 12 नवंबर को कहा था कि मामलों की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई के लिए मौखिक प्रस्तुतियों की अनुमति नहीं दी जाएगी और वकीलों से इसके लिए ईमेल या लिखित पत्र भेजने का आग्रह किया।
बुधवार को सीजेआई ने वकीलों को पारिवारिक विवाद मामले में स्थानांतरण याचिका पर सुनवाई करते समय मौखिक प्रस्तुतियां देने के बजाय केस वापसी के लिए अग्रिम पत्र दाखिल करने का सुझाव दिया। दरअसल एक मामले की सुनवाई के दौरान वकील ने पीठ को सूचित किया कि दोनों पक्षों ने अपने मतभेदों को सुलझा लिया है और स्थानांतरण याचिका वापस लेना चाहते हैं।
वापसी को मंजूरी देते हुए सीजेआई ने टिप्पणी की कि अग्रिम सूचना से अदालत की दक्षता बढ़ेगी। सीजेआई ने कहा, 'यदि आपके पास ऐसा कोई अनुरोध है, तो आप हमेशा कोर्ट मास्टर को एक दिन पहले या दो दिन पहले एक पत्र दे सकते हैं। इससे हमें मामले को सुलझाने में मदद मिलेगी या फाइलें नहीं पढ़नी पड़ेंगी।
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