सीएम मोहन यादव मध्यप्रदेश में बीजेपी के इस ट्रंप कार्ड के पीछे क्या है रणनीति, क्या 2024 लोकसभा चुनाव?
भोपाल, (आरएनआई) मध्य प्रदेश में मोहन यादव एक चौंकाने वाला नाम है। जैसे ही उनके नाम की घोषणा हुई..सब हैरत में पड़ गए। चार बार के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान सहित प्रहलाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीडी शर्मा जैसे बड़े नामों को पीछे छोड़ते हुए अब मोहन यादव सूबे के मुखिया बन चुके हैं।
सोमवार को बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया और जैसे ही उनके नाम का ऐलान हुआ सोशल मीडिया पर एक नया ट्रेंड चल पड़ा। अब लोग ‘यादव’ मुख्यमंत्री बनाए जाने की बधाई ले-दे रहे हैं। हालांकि इससे पहले भी प्रदेश की कमान पिछड़ा वर्ग के सीएम के हाथों में ही थी..लेकिन इस नए और एकदम विस्मित कर देने वाले नाम के साथ ही एमपी में भी ‘यादव पॉलिटिक्स’ की एंट्री होती दिख रही है।
राहुल गांधी को बीजेपी का जवाब ?
तो क्या ये बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व का राहुल गांधी के ‘पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व’ और ‘जातिगत जनगणना’ को लेकर एक जवाब है। पूरे विधानसभा चुनाव के दौरान जब जब राहुल गांधी प्रचार के लिए एमपी आए तो वो मंच से सवाल करते रहे कि हिंदुस्तान के इंस्टिट्यूशन में ओबीसी वर्ग का कितना प्रतिनिधित्व है। इसी के साथ कांग्रेस ने ऐलान किया था कि अगर उनकी सरकार बनेगी तो वो मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करेंगे। हम भूल नहीं सकते अक्टूबर की वो प्रेस कॉन्फ्रेंस जहां राहुल गांधी ने पत्रकारों से पूछा था कि इस कमरे में कितने ओबीसी और दलित पत्रकार हैं। छत्तीसगढ़ में एक दिन पहले बीजेपी आदिवासी नेता विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बना चुकी है और सोमवार को मध्य प्रदेश में फिर एक ओबीसी नेता को कमान सौंपी गई है।
उत्तर प्रदेश और बिहार साधने की कोशिश!
आगामी लोकसभा चुनाव के दृष्टिकोण से देखें तो हमें उत्तर प्रदेश और बिहार के राजनीतिक समीकरण पर भी नज़र डालनी होगी। बिहार में नीतीश सरकार की हालिया जातिगणना में यादवों की संख्या सबसे अधिक 14 फीसदी है। इसके बाद वहां आरजेडी और बीजेपी में इन वोटर्स को लेकर खींचातानी मचना स्वाभाविक है। यादव..आरजेडी के कोर वोटर माने जाते हैं और बीजेपी इन वोटरों को लुभाना चाहती है। वहीं उत्तर प्रदेश में 10 से 12 प्रतिशत वोटर्स यादव समाज के हैं और समाजवादी पार्टी के कोर वोटर्स माने जाते हैं। मध्य प्रदेश में यादव समाज को मुखिया बनाने से बीजेपी उत्तर प्रदेश का राजनीतिक समीकरण बदलने की कोशिश कर सकती है। ये खबर अखिलेश यादव के लिए टेंशन पैदा कर सकती है।
मिशन-2024 की तैयारी
मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटों में से फिलहाल बीजेपी 28 पर काबिज़ है और सिर्फ छिंदवाड़ा से नकुलनाथ ही कांग्रेस के लोकसभा सदस्य है। इस बार प्रदेश में मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा गया और कहा गया कि ‘मोदी ही हर गारंटी पूरी होने की गारंटी’ है। बीजेपी ने कोई सीएम फेस घोषित नहीं किया था और ये बात कही जा रही थी कि मोदी मैजिक बाकी किसी भी नेता की लोकप्रियता पर भारी है। इसे नतीजों में बदलते भी देखा गया और बीजेपी ने मध्य प्रदेश में प्रचंड जीत हासिल की। इसलिए कई राजनीतिक पंडित ये भी कह रहे थे कि पार्टी कोई ऐसा फैसला ले सकती है जो एकदम अप्रत्याशित हो और ये बात सच भी साबित हुई है। मोहन यादव संघ के करीबी माने जाते हैं और बीजेपी ने उनपर भरोसा जताया है तो इसके पीछे मिशन-2024 की कोई रणनीति ज़रुर है। मध्य प्रदेश में यादव मुख्यमंत्री बनाकर उत्तर प्रदेश और बिहार को एक स्पष्ट संकेत दिया गया है। वहीं आगामी लोकसभा चुनाव में इसका खासा प्रभाव होगा, इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
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