सिसकियों के बीच निकला गिलीम के ताबूत का जुलूस, गमजदा हुए सोगवार
हजरत अली पर हुए कातिलाना हमले का मंजर याद कर सोगवार गमजदा होते रहे। सुबह की खामोशी में दर्द भरे मर्सिया की आवाजें दिलों को बेकरार करती रहीं।

लखनऊ (आरएनआई) सुबह की खामोशी में रौजा ए काजमैन स्थित मस्जिद ए कूफा से बृहस्पतिवार को गमजदा माहौल में गिलीम के ताबूत का जुलूस निकला तो सोगवारों की सिसकियों और दर्द भरे मर्सियाख्वानों की आवाजें दिलों को बेकरार करती रहीं। पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल. के दामाद हजरत अली पर 19वीं रमजान को हुए कातिलाना हमले के बाद उन्हें घर लाने के इस मंजर को याद कर गमजदा अजादार आंसू बहाते हुए जुलूस में शामिल थे।
जुलूस निकलने से पहले मस्जिद ए कूफा में सुबह तड़के कारी ताहिर हुसैन जाफरी ने फज्र की अजान दी और नमाज के बाद मौलाना मुत्तकी जैदी ने मजलिस को खिताब किया। मजलिस के बाद रोते हुए अजादारों ने गिलीम का ताबूत निकाला। जुलूस में काले लिबास में शामिल सोगवारों का हुजूम गिलीम के ताबूत की जियारत के लिए हाथों को बढ़ाए सिसकियां भरते रहे।
अलम के साए में ताबूत मस्जिद ए कूफा से निकल कर शिया यतीमखाना होता हुआ मंसूर नगर तिराहे से गिरधारी सिंह इंटर कालेज, बिल्लौचपुरा, नक्खास चौराहा, अकबरी गेट होते हुए पाटानाला के पास पहुंचा। यहां पर पुरुषों ने ताबूत महिलाओं के हवाले कर दिया गया।
इसके बाद महिलाओं ने हजरत अली के ताबूत से लिपट कर गिरिया ओ मातम किया और ताबूत को इमामबाड़ा हकीम सैयद मोहम्मद तकी ले गईं। यहां अलविदाई मजलिस को मौलाना मीसम जैदी ने खिताब करते हुए हजरत अली पर हुए कातिलाना हमले का मंजर बयां किया जिसे सुनकर अकीदतमंद रो पड़े। यहां पर पूरा दिन लोगों ने ताबूत की जियारत कर दुआएं मांगी। जुलूस को लेकर सुरक्षा व्यवस्था के कड़े बंदोबस्त किये गये थे।
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