सिखों के साथ मुस्लिम व ईसाई समाज से भी संपर्क बढ़ाएगा संघ
संघ प्रमुख ने सामाजिक सद्भाव के तहत गैर हिंदुओं के साथ भी संपर्क और समन्वय बनाने पर बात की। कहा, संघ किसी धर्म का विरोधी नहीं है, दूसरे धर्मों के साथ भी सामाजिक सद्भाव की भावना के तहत संपर्क और समन्वय रखना चाहिए।
लखनऊ। (आरएनआई) राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक ओर जहां सामाजिक समरसता के कार्यक्रमों के जरिये दलित और मलिन बस्तियों के बीच पैठ बढ़ाएगा, वहीं सामाजिक सद्भाव के तहत सिख, मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध और पारसी समेत अन्य धर्मों के लोगों के साथ भी संपर्क और समन्वय बढ़ाएगा। सर संघ चालक मोहनराव भागवत ने अवध प्रांत और अवध प्रांत के सात विभागों की टोलियों के साथ शनिवार को हुई बैठक में इस पर मंथन किया।
निराला नगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में सुबह 9 बजे से शुरू हुआ बैठकों का सिलसिला शाम 5 बजे तक चला। इसमें शताब्दी वर्ष तक अवध प्रांत के प्रत्येक गांव में शाखा, साप्ताहिक मिलन और मासिक मंडली बैठक का आयोजन करने पर मंथन हुआ। संघ प्रमुख ने अवध प्रांत में दलित और मलिन बस्तियों के बीच लगातार कार्यक्रमों के आयोजन पर जोर दिया। कहा, दलितों और गरीब तबके के लोगों को उनका हक दिलाने में मदद करें। इसके लिए विकास कार्यों के साथ सरकार की योजनाओं का उन्हें लाभ दिलाएं। दलित व मलिन बस्तियों में संघ के सेवा कार्य संचालित कर वहां भी शाखा, साप्ताहिक मिलन के कार्यक्रम शुरू कराएं। त्योहारों और धार्मिक कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करें। समाज में उनके साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।
संघ प्रमुख ने सामाजिक सद्भाव के तहत गैर हिंदुओं के साथ भी संपर्क और समन्वय बनाने पर बात की। कहा, संघ किसी धर्म का विरोधी नहीं है, दूसरे धर्मों के साथ भी सामाजिक सद्भाव की भावना के तहत संपर्क और समन्वय रखना चाहिए। उन्हें संघ के कामकाज की जानकारी देनी चाहिए। बैठक में प्रांत संघचालक कृष्णमोहन, सह प्रांत संघचालक सुनीत खरे, प्रांत कार्यवाह प्रशांत शुक्ल, सह प्रांत कार्यवाह संजय सिंह और प्रांत प्रचारक कौशल कुमार सहित अन्य पदाधिकारी शामिल हुए।
शाखा और सेवा कार्यों का विस्तार तो हो रहा है, लेकिन आगे इन कार्यों को लगातार जारी रखने के लिए प्रमाणिक स्वयंसेवकों की जरूरत है। ऐसे स्वयंसेवक तैयार करें जो इस जिम्मेदारी का निर्वहन कर सकें। उन्होंने प्रांत और विभाग के पदाधिकारियों से कहा कि ऐसे स्वयंसेवक तैयार करें जो दिन में कम से कम तीन से चार घंटे संघ को दे सकें। लगातार लोगों के बीच बैठकर उनसे संपर्क और समन्वय बनाएं। उसके बाद उन्हें संघ परिवार की जानकारी देते हुए शाखा से जोड़ें। शताब्दी वर्ष तक प्रत्येक गांव तक किसी न किसी रूप में संघ की उपस्थिति होनी चाहिए। इसे स्थायित्व देने के लिए स्थानीय स्तर पर स्वयंसेवकों की टोलियां बनाएं। सूत्रों के मुताबिक बैठक में अयोध्या में श्रीराम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह, ग्राम विकास सहित अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
संघ प्रमुख ने पूछा कि संघ के क्षेत्रीय अधिकारी प्रांत के क्षेत्र में प्रवास करते हैं या नहीं, प्रवास से पहले पूर्व सूचना देते हैं या नहीं। उन्होंने एक-एक पदाधिकारी से संवाद कर जाना कि संघ का काम किस तरह चल रहा है और उन्हें क्या करना चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक अवध प्रांत के 13 प्रशासनिक जिलों में बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती और पीलीभीत नेपाल सीमा से जुड़े हैं। इन जिलों की सीमा के जरिये घुसपैठ रोकने, सरकारी जमीनों पर बने रहे अवैध कब्रिस्तान, मजार और मस्जिदों को रोकने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई।
संघ प्रमुख रविवार को संघ दृष्टि के 26 जिलों की टोलियों के साथ संवाद करेंगे। इनके अतिरिक्त विभिन्न आयाम प्रमुखों से भी बातचीत करेंगे।
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