सावन माह में गहनाग देव आश्रम पर श्रद्धालुओं का उमड़ता है जन सैलाब
अयोध्या। (आर एन आई) जिले के मिल्कीपुर तहसील क्षेत्र में अयोध्या-रायबरेली हाईवे के पारा मरेमा में पच्चासों वर्ष पूर्व से स्थापित गहनाग देव आश्रम हिंदुओं के श्रद्धा और विश्वास का केंद्र माना जाता है। लोगों ने बताया कि गहनाग देवस्थान पर सर्प आदि विषैले जंतुओं के काटने पर लोग सर्वप्रथम यहां आते हैं और फेरी एवं जल पीने के बाद व्यक्ति ठीक होकर अपने आप पैदल अपने गंतव्य को जाता है। बताया गया कि पड़ोसी जनपदों के भी महिला पुरुष बच्चे सोमवार और शुक्रवार को आकर पूड़ी हलवा का प्रसाद गहनाग देव को चढ़ा कर उनसे मंगल कामना करते हैं। बुजुर्ग माता प्रसाद दुबे बताया कि इस टीले पर पहले एक छोटा सा नीम का पेड़ व सरपत के बीच एक (सुरंग नुमा) बिल थी। जहां नाग पंचमी के दिन ग्रामीण लावा एवं दूध चढ़ाते थे। लावा दूध चढ़ाते समय नाग देवता ने दर्शन देकर बड़े चाव से दूध का पान किया। तब से इस स्थान पर पूजा पाठ होने लगा। बताया गया कि यह स्थान आज पूरे प्रदेश में गहनाग देव बाबा आश्रम के नाम से विख्यात है। आसपास के जनपदों के भी लोग यहां आकर गहनागदेव का दर्शन पूजन करते हैं। सावन मास में इस आश्रम पर दूरदराज से महिला एवं पुरुष बच्चे दूध लावा हलवा पूड़ी चढ़ाकर भगवान भोलेनाथ की आराधना करते हैं। सोमवार व शुक्रवार को यहां भक्तों की अपार भीड़ रहती है। यहां तक कि कभी कभार अयोध्या रायबरेली राष्ट्रीय मार्ग भी बंद करना पड़ता है। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस प्रशासन की अधिकारी महिला पुलिस भी भक्तों के निगरानी एवं सुरक्षा में तैनात रहती है। इस मंदिर के महंत मंसाराम दास महाराज बताते हैं कि मंदिर को संवारने में ब्रह्मलीन लोधे दास का बड़ा योगदान रहा। यह स्थान तालाब खाते की भूमि पर 18 बीघे रक्बे के टीले पर बसा हुआ है। बगल श्रद्धालुओं के नहाने के लिए सरोवर का भी निर्माण कराया गया है। परिसर में गहनाग देव आश्रम, बजरंगबली ,आस्तिक आश्रम, राम जी तथा दुर्गा माता का मंदिर भी विद्यमान है। जय गहनाग बाबा गौ सेवा ट्रस्ट पारा ब्रह्मनान मरेमा के नाम से बनाया गया है। ट्रस्ट के माध्यम से मंदिर की रिपेयरिंग साज सज्जा तथा प्रसाद व मंदिर से संबंधित अन्य खर्चे उसी मद से किए जाते हैं।
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