सावन: 72 साल बाद महायोग, सोमवार से शुरुआत और समापन भी; बाबा के भक्तों को आराधना का एक दिन और मिलेगा
भगवान शिव के प्रिय मास सावन का इंतजार कर रहे भक्तों के लिए इस बार दुलर्भ और महायोग बन रहा है। 72 साल बाद सावन की शुरुआत और समाप्ति सोमवार से होगी, वहीं इस बार पांच सोमवार पड़ रहे हैं। ऐसे योग में भगवान शिव की पूजा और अभिषेक करने वाले भक्तों पर कृपा बरसेगी।
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वाराणसी (आरएनआई) भगवान शिव के प्रिय मास सावन का इंतजार कर रहे भक्तों के लिए इस बार दुलर्भ और महायोग बन रहा है। 72 साल बाद सावन की शुरुआत और समाप्ति सोमवार से होगी, वहीं इस बार पांच सोमवार पड़ रहे हैं। ऐसे योग में भगवान शिव की पूजा और अभिषेक करने वाले भक्तों पर कृपा बरसेगी।
सावन की शुरुआत 22 जुलाई हो रही है। इस दिन सुबह से शाम तक प्रीति योग रहेगा और सुबह से रात साढ़े दस तक सावन नक्षत्र रहेगा। समापन 19 अगस्त को होगा।
हिंदू कैलेंडर के पांचवें मास सावन का विशेष महत्व है। भक्त भगवान शिव का पूजन-अर्चन, शिवालयों में जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और अभिषेक आदि अनुष्ठान करवाते हैं। बनारस में बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए भक्तों का रेला उमड़ता है। कावड़ यात्राएं निकलती हैं। ऐसे में सावन में पांच सोमवार पड़ने से भक्तों को भगवान शिव की आराधना का एक अतिरिक्त दिन मिलेगा।
आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री और आचार्य अमित मिश्र ने बताया कि हिंदू धर्म में सावन की शुरुआत और समापन सोमवार से होना दुलर्भ संयोग है। ऐसा 72 साल बाद हो रहा है। इस मास में भगवान शिव की पूजा करने से बाबा भक्तों के दुख, दरिद्रता दूर कर हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।
इस बार सावन मास 29 दिनों का ही है। इन्हीं 29 दिनों में पांच सोमवार का दुर्लभ योग बनेगा। पहला सोमवार 22 जुलाई, दूसरा 29 जुलाई, तीसरा पांच अगस्त, चौथा 12 अगस्त, पांचवां और अंतिम सोमवार 19 अगस्त को पड़ेगा। वहीं, सावन नक्षत्र और प्रीति योग बन रहा है।
पिछले बार सावन में आठ सोमवार पड़े थे। कारण, तीन साल पर पड़ने वाले अधिमास से एक माह बढ़ गया था, यानी सावन दो माह का था और आठ सोमवार पड़े थे। जबकि चातुर्मास भी चार की जगह पांच माह का पड़ा था। पिछली बार चार जुलाई से 16 अगस्त तक 56 दिनों तक सावन माह था।
सावन में अमूमन तीन मंगलवार पड़ते हैं। इस दिन श्रद्धालु मां मंगला गौरी का व्रत रखते हैं। इस बार मंगला गौरी व्रत चार पड़ रहे हैं। पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई, दूसरा 30 जुलाई, तीसरा छह अगस्त, चौथा 13 अगस्त को पड़ रहा है। काशी में मां मंगला गौरी के दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की भीड़ होती है। जिन लड़कियों की शादी में देरी हो रही होती है, वह व्रत रखकर मां की पूजा करती हैं और मां को प्रिय हल्दी की माला चढ़ाती हैं।
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