सामान चुराने पर कॉलेज ने छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोका: मुंबई उच्च न्यायालय
बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस पिलानी, गोवा ने 5 छात्रों को एक सम्मेलन के दौरान सामान चुराने के मामले में दंडित किया था। मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने छात्रों को दो महीने तक रोज 2 घंटे सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया।
गोवा (आरएनआई) बंबई हाई कोर्ट की गोवा पीठ ने इंजीनियरिंग के दो छात्रों को दो महीने तक रोजाना दो घंटे सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया है। छात्रों पर आरोप था कि उन्होंने नवंबर में एक सम्मेलन के दौरान कलम, आलू के चिप्स, चॉकलेट, सैनिटाइजर, पेन, नोटपैड, सेलफोन स्टैंड, दो डेस्क लैंप और तीन ब्लूटूथ स्पीकर जैसी चीजें चुराई थीं, जिसके बाद कॉलेज द्वारा छात्रों पर सख्त कार्यवाही की गई थी। कोर्ट के इस फैसले बाद छात्रों को थोड़ी राहत मिली है।
छात्रों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स) पिलानी, गोवा परिसर ने छात्रों को सेमेस्टर परीक्षा में बैठने से रोक दिया था। न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति एम एस सोनक की पीठ ने सोमवार को संस्थान के इस फैसले को रद्द कर दिया।
इसके बजाय पीठ ने 18 वर्ष की आयु के दोनों छात्रों को दो महीने तक गोवा के एक वृद्धाश्रम में हर दिन दो घंटे सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया। कुल पांच छात्रों पर यह आरोप था।
मामले के कागजात के अनुसार, पकड़े जाने के बाद छात्रों ने दावा किया था कि उन्हें लग रहा था कि सामान वहीं छोड़ दिया गया है। छात्रों ने सामान वापस कर दिया और अपने आचरण के लिए लिखित रूप में माफी मांगी। संस्थान के स्थायी पैनल ने सभी पांच छात्रों को तीन सेमेस्टर के लिए पंजीकरण से रोक दिया और प्रत्येक पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।
उन्होंने संस्थान के निदेशक के समक्ष फैसले को चुनौती दी। इसके बाद छात्रों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। छात्रों की याचिकाओं की सुनवाई के दौरान, एचसी ने दो मौकों पर अपना फैसला टाल दिया ताकि बिट्स निदेशक सेमेस्टर रद्द करने की सजा पर पुनर्विचार कर सकें। लेकिन वैसा नहीं हुआ।
सोमवार को अपने अंतिम आदेश में, एचसी ने कहा कि उसे ऐसा लगा कि निदेशक इस तथ्य से नाराज थे कि छात्रों ने उनके फैसले के खिलाफ अदालत के हस्तक्षेप की मांग करने की हिम्मत की थी। अदालत ने कहा, उपयुक्त मामले में याचिकाकर्ताओं को 50,000 रुपये के जुर्माने के भुगतान के अलावा, दो महीने तक हर दिन दो घंटे सामुदायिक सेवा करनी होगी।
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