साइबर ठगों के निशाने पर सराफा कारोबारी, अलग-अलग राज्यों के गिरोह प्रदेश में सक्रिय
कानपुर में साइबर ठगों ने अब सराफा कारोबारियों को निशाने पर ले लिया है। अलग-अलग राज्यों में बैठे ठगों के साथी पूरे प्रदेश में सक्रिय हैं। ये लोग दुकान या शोरूम जाकर पहले गहने पसंद करते हैं। इसके बाद दूर बैठे अपने साथियों से ऑनलाइन भुगतान करवाते हैं। ये रुपये धोखाधड़ी कर कमाए हुए होते हैं।
कानपुर (आरएनआई) कानपुर में साइबर ठगों ने अब सराफा कारोबारियों को निशाने पर ले लिया है। अलग-अलग राज्यों में बैठे ठगों के साथी पूरे प्रदेश में सक्रिय हैं। ये लोग दुकान या शोरूम जाकर पहले गहने पसंद करते हैं। इसके बाद दूर बैठे अपने साथियों से ऑनलाइन भुगतान करवाते हैं। ये रुपये धोखाधड़ी कर कमाए हुए होते हैं।
इसके चलते जिस खाते में पैसा आता है, उसे भी संबंधित क्षेत्र की पुलिस सीज करा देती है। साथ ही भुगतान के रूप में जो रुपये आते हैं, उन्हें भी रोक लेती है। खाता सीज होने से कारोबारियों को व्यापार करने में परेशानी आ रही है। एक सप्ताह पहले शहर के एक बड़े कारोबारी से भी इसी तरह की ठगी हुई।
इसके अलावा पांच माह में कानपुर, लखनऊ, बांदा, प्रयागराज आदि शहरों से 15 मामले इस तरह के सामने आए हैं। खाते सीज होने से 10 करोड़ रुपये भी खातों में ब्लॉक हो गए हैं। शहर में सराफा का बड़ा कारोबार है। इस तरह का फ्रॉड आने के बाद सराफा ने डिजिटल भुगतान लेना भी कम कर दिया है।
आरबीआई को पत्र भी भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि कानपुर समेत देशभर में ज्वैलर्स के साथ साइबर धोखाधड़ी के मामलों की संख्या बढ़ रही है। ये धोखाधड़ी ऐसे व्यक्तियों की ओर से की जा रही है, जो वास्तविक ग्राहक होने का दिखावा करते हैं, यूपीआई और अन्य डिजिटल माध्यम से भुगतान करते हैं।
नतीजतन, पुलिस की साइबर शाखा ज्वैलर्स के बैंक खातों को ब्लॉक कर देती है। इससे कारोबार में परेशानी हो रही है। ऐसे में इस तरह के मामलों का समाधान करने के लिए उच्च मूल्य वाले लेनदेन के लिए एक मजबूत सत्यापन प्रक्रिया लागू की जाए। दोनों पक्षों के लिए लेन-देन का सत्यापन हो।
लेनदेन विवरण रिकॉर्ड करने के लिए एक सुरक्षित डिजिटल खाता बही स्थापित किया जाए। धोखाधड़ी करने वालों का पता लगाया जाए और इस तरह के मामलों में विवाद समाधान ढांचा तैयार किया जाए। बैंक खातों को ब्लॉक करने का काम पूरी जांच और सत्यापन के बाद ही किया जाए।
एक सप्ताह पहले शहर के बड़े सराफा के शोरूम में महिला ग्राहक पहुंची। उसने 80 हजार के गहने पसंद किए और भुगतान ऑनलाइन करने को कहा। खुद भुगतान न करके रिश्तेदार से भुगतान कराने की बात कही। सराफा के खाते में रुपये आ गए और महिला गहने लेकर चली गई।
तीन दिन बाद सराफा ने खाते से रकम ट्रांसफर करनी चाही तो नहीं हुई। संबंधित बैंक शाखा गए तो पता चला कि केरल पुलिस ने उनका खाता भी सीज कर दिया है। खाते में सवा करोड़ रुपये थे। 80 हजार रुपये काट भी लिए गए। पता चला कि महिला ने केरल के जिस खाते से भुगतान कराया था, वह खाते पर धोखाधड़ी के मामले में केरल पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की है।
सराफा ने स्थानीय पुलिस को बताया तो केरल पुलिस से संपर्क करने को कहा गया। अब उन्होंने कोर्ट से 80 हजार की रकम छोड़कर शेष रकम छुड़ाने के लिए वाद दाखिल किया है। इसी तरह बांदा के एक सराफा से छह लाख के गहने लेने के बाद ऑनलाइन रुपये ट्रांसफर किए गए। बाद में उनका खाता भी सीज हो गया। उसमें 32 लाख रुपये थे।
कानपुर, लखनऊ, बांदा, प्रयागराज समेत देशभर के अलग-अलग हिस्सों में पांच माह में 15 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। स्थानीय पुलिस से कोई मदद न मिलने पर सराफा अलग-अलग राज्यों की पुलिस के पास जा रहे हैं। कोर्ट से विवादित रकम को छोड़कर शेष रकम रिलीज करने के लिए वाद दाखिल करने पड़ रहे हैं। ऐसे ही चलता रहा तो सराफा डिजिटल भुगतान लेना बंद कर देंगे। आरबीआई को पत्र भेजा गया है। -पंकज अरोड़ा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, ऑल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्ड स्मिथ फेडरेशन
सराफा ने साइबर ठगी करने वाले अनजान लोगों से डिजिटल भुगतान लेते समय वीडियो बनाने, आधार कार्ड लेने की एडवाइजरी जारी की है। साइबर ठगों के निशाने पर सराफा हैं। नए तरीके से ठगी कर रहे हैं। खाता सीज होने से परेशानी बढ़ी है। अपनी फंसी रकम पाने के लिए कोर्ट के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। सराफा कारोबार करें कि कोर्ट कचहरी करें वो भी अपनी रकम के लिए। इस पर आरबीआई गाइड लाइन जारी करे। -अशोक बाजपेई, महामंत्री, कानपुर महानगर सराफा एसोसिएशन
सराफा के खाते सीज होने पर उनके लेन-देन प्रभावित हो रहे हैं। बड़े कारोबारी तो किसी तरह संभाल ले रहे हैं, लेकिन छोटे कारोबारियों की पूंजी फंस जा रही है। नवरात्र, करवाचौथ, धनतेरस, दिवाली का त्योहार आने से पहले सराफा बडे स्तर पर तैयारी करते हैं। ऐसे में बैंक लेन-देन बंद होने से दूसरे सराफा भी कारण जानने के बाद लेन-देन से बच रहे हैं।
एडवाइजरी में यह भी... जो गहने खरीदने आए, उसी से कराएं भुगतान
- शोरूम आए अनजान ग्राहक पर शक होने पर डिजिटल भुगतान लेते समय संबंधित का वीडियो बनाएं।
- जो व्यक्ति ज्वैलरी लेने लेना आया, उसी व्यक्ति के जरिये डिजिटल भुगतान की प्रक्रिया पूरी कराएं।
- क्यू आर कोड आदि खुद के मोबाइल पर न मंगाएं, संबंधित ग्राहक को मोबाइल फोन इस्तेमाल करने को कहें।
- आधार कार्ड और यूपीआई मोबाइल नंबर जरूर चेक कर लें।
ऐसे मामलों में पीड़ित को संबंधित थाने में भी रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद यहां की पुलिस संबंधित जिले की पुलिस से संपर्क करेगी। उन्हें बताया जाएगा कि बाहर के खाते से आए रुपये तो फ्रीज कराकर रुपये रिफंड करा लिए, लेकिन स्थानीय व्यक्ति को ठगने वाले को पकड़ने का आग्रह किया जाएगा। ताकि संबंधित के रुपये मिलने के साथ ही उसका खाता फिर से चालू हो सके। -आशीष श्रीवास्तव, डीसीपी क्राइम
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