सशस्त्र बलों का मनोबल गिरा रही है कांग्रेस, विपक्ष का संसद में रुख बाधा डालने वाला: भाजपा
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस पर संसद में बाधा डालने वाला रुख अपनाने का आरोप लगाया और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करने का आह्वान किया।
नयी दिल्ली, 19 दिसंबर 2022, (आरएनआई)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस पर संसद में बाधा डालने वाला रुख अपनाने का आरोप लगाया और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करने का आह्वान किया।
भाजपा ने यह बात तब कही जब कथित चीनी घुसपैठ पर चर्चा कराने की मांग राज्यसभा के सभापति द्वारा स्वीकार नहीं करने पर कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से बहिगर्मन किया।
राज्यसभा में सदन के नेता एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता पीयूष गोयल ने कहा कि 2004 और 2014 के बीच कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के सत्ता में रहने के दौरान संसद में संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा या स्पष्टीकरण की मांग के कई उदाहरण हैं।
उन्होंने बहिर्गमन के बाद संवाददाताओं से कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष की "निराशा" इस स्तर तक पहुंच गई है कि उन्होंने संसदीय नियमों और विनियमों का सम्मान करना या सभापति के फैसलों पर ध्यान देना बंद कर दिया है।
गोयल के साथ संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी भी थे। गोयल ने कहा कि विशेष रूप से कांग्रेस बहुत निचले स्तर की राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी ऐसे समय में सशस्त्र बलों का मनोबल गिरा रहे हैं जब देश को एक स्वर में बोलना चाहिए और जवानों को उनकी वीरता के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और उनकी सराहना करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘यह भारत, उसके लोकतंत्र और सभी के हित में है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए और संसद की कार्यवाही चलने दी जानी चाहिए।’’
सीमाओं पर कथित चीनी घुसपैठ को लेकर चर्चा की मांग सोमवार को सभापति द्वारा खारिज किए जाने के बाद विपक्षी दलों ने राज्यसभा से बहिर्गमन किया।
सभापति जगदीप धनखड़ ने नियम 267 के तहत दिये गए सभी नौ नोटिस यह कहते हुए खारिज कर दिये कि वे नियमों के तहत नहीं हैं। हालांकि, कांग्रेस और अन्य पार्टियां कामकाज स्थगित करने की अपनी मांग पर अड़ी रहीं, ताकि इस मुद्दे पर चर्चा की जा सके।
हालांकि सभापति ने उनकी मांग नहीं मानी, जिसके बाद कांग्रेस, वाम, द्रमुक और अन्य दलों के सांसदों ने बहिर्गमन किया।
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