समीर वानखेड़े मामले में नया मोड़, अब नए अधिकारी करेंगे विशेष जांच दल का नेतृत्व
समीर वानखेड़े मामले में एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने आईएस अधिकारी ज्ञानेश्वर सिंह को हटा दिया है. वे विशेष जांच दल (एसईटी) का नेतृत्व कर रहे थे. एनसीबी ने नीरज कुमार गुप्ता को केंद्रीय सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) के रूप में नियुक्त किया है.
नई दिल्ली (आरएनआई) समीर वानखेड़े मामले में एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने आईएस अधिकारी ज्ञानेश्वर सिंह को हटा दिया है. वे विशेष जांच दल (एसईटी) का नेतृत्व कर रहे थे. एनसीबी ने नीरज कुमार गुप्ता को केंद्रीय सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) के रूप में नियुक्त किया है.
2021 के ड्रग्स-ऑन-क्रूज़ मामले के बाद इसके पूर्व मुंबई जोनल निदेशक समीर वानखेड़े द्वारा "गंभीर आरोप" लगाए जाने के बाद एक नए सतर्कता अधिकारी नीरज कुमार गुप्ता को तीन महीने के लिए सीवीओ नियुक्त किया गया था.
एक आदेश में कहा गया कि वित्त मंत्रालय के उप महानिदेशक (विशेष विंग) नीरज कुमार गुप्ता, जो 2005 बैच के केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं, को तीन महीने के लिए "अंशकालिक" सीवीओ नियुक्त किया गया.
एनसीबी अधिकारियों ने बताया कि वानखेड़े मामले की जांच करने वाले एसईटी का नेतृत्व करने वाले आईपीएस अधिकारी ज्ञानेश्वर सिंह का कार्यकाल पूरा होने के बाद एक नया अधिकारी नियुक्त किया गया था. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''हर तीन साल के बाद सीवीओ बदलने की आधिकारिक प्रक्रिया के तहत सिंह की जगह गुप्ता को नियुक्त किया गया.''
उनके अनुसार, ज्ञानेश्वर सिंह ने एनसीबी के महानिदेशक (डीजी) एसएन प्रधान को पत्र लिखा और कहा कि वह दो आधारों पर सीवीओ पद से "अलग होना" चाहते हैं - जिस ऑपरेशन विंग का वह नेतृत्व कर रहे हैं उसकी भारी ड्यूटी व्यस्तता और कुछ गुमनाम शिकायतें. उसके ख़िलाफ़, और वह हितों का टकराव नहीं चाहता था.
ज्ञानेश्वर सिंह का तीन साल का कार्यकाल समाप्त हो गया था और उन्होंने खुद ही एनसीबी संचालन निदेशालय का पूर्णकालिक प्रभार सौंपने की मांग की थी जो समन्वय में एजेंसी की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई का समन्वय करता है.
ज्ञानेश्वर सिंह, 1999-बैच के हिमाचल प्रदेश कैडर के भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी, एनसीबी मुख्यालय में डीडीजी (संचालन, प्रवर्तन और परिचालन नियंत्रण) के रूप में कार्यरत हैं और उन्हें पिछले तीन वर्षों से सीवीओ के रूप में भी नामित किया गया था.
सीवीओ को एनसीबी के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ की गई शिकायतों की जांच करने का अधिकार है जो अन्य सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी मामलों को संभालने के अलावा हाई-प्रोफाइल और संवेदनशील दवाओं की तस्करी के मामलों की जांच करते हैं.
सीवीओ द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी), कैडर नियंत्रण अधिकारियों और अन्य को आगे की कार्रवाई के लिए भेजी जाती है.
ज्ञानेश्वर सिंह की अध्यक्षता वाली ऑपरेशन विंग ने हाल ही में फरवरी में गुजरात तट से 3,300 किलोग्राम ड्रग्स की जब्ती के साथ समुद्र से भारत के अब तक के सबसे बड़े नशीले पदार्थों के भंडाफोड़ का भंडाफोड़ किया, और इसने कथित तौर पर एक बर्खास्त पदाधिकारी जाफर सादिक के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तस्करी रैकेट का भी खुलासा किया.
ज्ञानेश्वर सिंह के नेतृत्व में एनसीबी एसईटी ने वानखेड़े और उनकी टीम की ओर से मुख्य रूप से दो मामलों में कथित खामियां पाई थीं. पहला ड्रग्स-ऑन-क्रूज़ छापे के संचालन में कथित अनियमितताएं, और दूसरा केंद्रीय सिविल सेवा (सीसीएस) नियमों के तहत उल्लंघन.
एसईटी ने यह रिपोर्ट केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) को सौंपी, जिसने माना था कि ज्ञानेश्वर सिंह कॉर्डेलिया क्रूज ड्रग्स मामले के संबंध में आईआरएस अधिकारी वानखेड़े द्वारा कथित प्रक्रियात्मक खामियों की जांच के लिए गठित जांच दल का हिस्सा नहीं हो सकते थे. कैट ने इस आदेश के खिलाफ एजेंसी द्वारा दायर समीक्षा याचिका को भी खारिज कर दिया था.
समीर वानखेड़े के नेतृत्व में एनसीबी मुंबई ने अक्टूबर 2021 में मुंबई में एक क्रूज पर छापा मारने के बाद अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान और कुछ अन्य को ड्रग्स के आरोप में गिरफ्तार किया था. एक अन्य एनसीबी अधिकारी डीडीजी संजय कुमार सिंह ने गुरुवार को सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर आगे बढ़ने की मंजूरी प्राप्त की थी.
ओडिशा कैडर के 1996-बैच के आईपीएस अधिकारी संजय कुमार सिंह ने एनसीबी की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का नेतृत्व किया, जिसने आर्यन खान और पांच अन्य को उनके खिलाफ "सबूतों की कमी" का हवाला देते हुए क्लीन चिट दे दी थी. इस मामले में श्री वानखेड़े की अध्यक्षता में एनसीबी मुंबई द्वारा की गई जांच ने सुर्खियां बटोरीं.
संजय कुमार सिंह वर्तमान में डीडीजी (दक्षिण पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्र) के रूप में तैनात हैं और वह मुंबई में एनसीबी द्वारा की गई दो अन्य जांचों में श्री वानखेड़े की भूमिका की जांच कर रहे हैं. वह 30 अप्रैल को एजेंसी छोड़ देंगे.
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