आईएमएफ की ओर से लोन की समीक्षा के पहले चीन ने श्रीलंका को मदद का दिया आश्वासन
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) इस साल मार्च में श्रीलंका को दिए गए 2.9 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की पहली समीक्षा 11 से 19 सितंबर तक करेगा। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से बुधवार को एक विज्ञप्ति में इससे संबंधित जानकारी साझा की गई।
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श्रीलंका के सबसे बड़े द्विपक्षीय लेनदार चीन ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ओर से 41 अरब डॉलर के लोन की पहली समीक्षा से पहले देश को कर्ज की चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने में मदद का आश्वासन दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) इस साल मार्च में श्रीलंका को दिए गए 2.9 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की पहली समीक्षा 11 से 19 सितंबर तक करेगा। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से बुधवार को एक विज्ञप्ति में इससे संबंधित जानकारी साझा की गई। उसके अनुसार सातवें चीन-दक्षिण एशियाई एक्सपो से इतर श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने से मुलाकात करने वाले चीन के विदेश मंत्री और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की केंद्रीय समिति के विदेश मामलों के आयोग के निदेशक वांग यी ने आश्वासन दिया है कि इससे देश की कर्ज चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने में मदद मिलेगी। वांग ने कहा, "चीन हमेशा श्रीलंका का विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार रहा है और वह इस बात की सराहना करता है कि श्रीलंका हमेशा चीन के साथ मित्रवत रहा है और उसके मूल हितों से जुड़े मुद्दों पर चीन के साथ खड़ा रहा है। श्रीलंका वर्तमान में अगले 4 वर्षों में मार्च में अनुमोदित 2.9 अरब डालर के बेलआउट के बाद से अपनी पहली समीक्षा के लिए आईएमएफ की शर्त को पूरा करने के उद्देश्य से अपने बाहरी लेनदारों के साथ बातचीत कर रहा है। आईएमएफ पहले ही 14 से 27 सितंबर के बीच समीक्षा के लिए कोलंबो में अपने मिशन की घोषणा कर चुका है। श्रीलंका को 41 अरब डॉलर के कर्ज के पुनर्गठन के कार्यक्रम पर अगले महीने तक अपने सभी बाहरी कर्जदाताओं के साथ सहमत हो जाना चाहिए। द्वीप राष्ट्र पिछले साल इतिहास में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से प्रभावित हुआ था जब देश का विदेशी मुद्रा भंडार एक महत्वपूर्ण निचले स्तर पर गिर गया था और जनता ईंधन, उर्वरकों और आवश्यक वस्तुओं की कमी का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आई थी। चार अरब डॉलर से अधिक की भारतीय क्रेडिट लाइनों और अन्य सुविधाओं ने द्विपीय राष्ट्र को संकट का सामना करने में मदद पहुंचाई थी। इस दौरान आवश्यक वस्तुओं और बिजली की जरूरतों की कमी को चिह्नित करते हुए लोग सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने लगे थे।
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