सत्संग ही भगवद प्राप्ति का एकमात्र सुगम साधन : मारुति नंदनाचार्य वागीश
डॉ. गोपाल चतुर्वेदी
वृन्दावन (आरएनआई) गोविंद घाट स्थित अखिल भारतीय श्रीपंच राधावल्लभीय निर्मोही अखाड़ा (श्रीहित रासमण्डल) में श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज के पावन सानिध्य में चल रहे रसिक संत वैद्यभूषण श्रीश्री 1008 श्रीमहंत माखनचोर दास महाराज का 133 वां नवदिवसीय जन्म महामहोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ चल रहा है।जिसके अंतर्गत प्रातः 8 बजे से सेवक वाणी एवं हित चौरासी पाठ किया गया।
तत्पश्चात व्यासपीठ से आचार्य/भागवत पीठाधीश्वर सुविख्यात भागवत प्रभाकर मारुति नंदनाचार्य वागीश महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी में सभी भक्तों-श्रृद्धालुओं को कपिल देवहूती संवाद का प्रसंग श्रवण कराते हुए कहा कि भगवत प्राप्ति के लिए सत्संग ही एकमात्र सुगम साधन है।भगवान कपिलदेव ने माता देवहूति को उपदेश देते कहा कि इंद्रिय रूपी घोड़े अपने विषयों की ओर भागते ही हैं, परन्तु हमें उन घोड़ों की लगाम खींचकर इंद्रिय रूपी घोर के मुख को अपनी ओर मोड़ देना है। जिसका परिणाम चित्त में शांति व मन को संतोष मिलेगा।
उन्होंने ध्रुव चरित्र का भाव प्रस्तुत करते हुए कहा कि उत्तानपाद की पत्नी सुरुचि उत्तम को और सुनीति ध्रुव को जन्म देती है। अर्थात सुंदर नीतियों का परिणाम ध्रुव होता है, यानी द्रण संकल्प। जबकि सांसारिक रुचि का परिणाम केवल उत्तम होता है।भजन 55 से नहीं बचपन से होता है।भगवान पर यदि हमारा भरोसा रहे तो दुनिया आपका बाल भी बांका नहीं कर सकती है। बाल भक्त प्रहलाद जैसी निष्ठा, दृढ़ भक्ति की शक्ति के कारण खंभ से भगवान नरसिंह को प्रकट होना पड़ा।
महोत्सव में बाद ग्राम स्थित श्रीहित हरिवंश महाप्रभु की जन्मभूमि आश्रम के महंत दंपति किशोर शरण महाराज (काकाजी), वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, भागवताचार्य राम प्रकाश भारद्वाज मधुर, लालू शर्मा, ठाकुर दिनेश सिंह तरकर, युवराज श्रीधराचार्य महाराज, नवलदास पुजारी, रासाचार्य देवेन्द्र वशिष्ठ, पण्डित राधावल्लभ वशिष्ठ, इन्द्र कुमार शर्मा, प्रियावल्लभ वशिष्ठ, डॉ. राधाकांत शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
Follow the RNI News channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2Xp81Z
What's Your Reaction?