सत्संग, साधना व सेवा को समर्पित थे स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती महाराज
वृन्दावन।अखंडानंद आश्रम (आनंद वृन्दावन) के अध्यक्ष व उड़िया बाबा महाराज की परम्परा के वीतरागी संत स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती महाराज 26 जून 2023 को प्रातः 2 बजकर 15 मिनट पर ब्रह्मलीन हो गए।
उनके परम् कृपापात्र स्वामी श्रवणानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि दिनांक 27 जून को अलीगढ़ से 45 किमी दूर श्रीरामघाट (नरौरा) स्थित गंगा तट पर उन्हें समाधि दी जाएगी।इसी स्थान पर उन्होंने अपनी भू समाधि दिए जानें की अंतिम इच्छा व्यक्त की थी।
आश्रम के पुस्तकालयाध्यक्ष संत सेवानंद ब्रह्मचारी ने महाराजश्री के जीवन से जुड़े तथ्य बताते हुए कहा कि स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती महाराज विश्व की महान विभूति, भक्ति वैराग्य के साक्षात स्वरूप उड़िया बाबाजी महाराज की परंपरा के वीतरागी संत श्रीअखंडानंद सरस्वतीजी महाराज के मुंबई में दर्शन और सत्संग से प्रभावित होकर उन्ही के साथ श्रीधाम वृंदावन आ गए।सन 1966 में स्वामी अखंडानंद सरस्वतीज महाराज से सन्यास दीक्षा ली और महाराजश्री को सत्संग साधना और सेवा में अपने को समर्पित कर दिया।
आनंद वृन्दावन के पूर्वाध्यक्ष स्वामी ओंकारानंद सरस्वती महाराज ने सन् 2006 में उन्हें महंत व अध्यक्ष पद पर आसीन किया।स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती महाराज ने महंताई के उत्तरदायित्व को बड़ी लगन व निष्ठा के साथ निर्वहन किया। सन 2011 में अपने योग्य शिष्य आचार्य स्वामी श्रवणानंद सरस्वती को महंत व उत्तराधिकारी बना दिया।
स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती महाराज के ब्रह्मलीन होने पर साधु समाज व भक्तजनों को अपूर्व हानि हुई है।
आश्रम के प्रमुख संत डॉक्टर स्वामी गोविंदानंद सरस्वती महाराज, स्वामी महेशानंद सरस्वती महाराज,पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद महाराज,महंत बाबा संतदास महाराज, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, साध्वी डॉक्टर राकेश हरिप्रिया, स्वामी आनंदानंद सरस्वती महाराज, स्वामी अभेदानंद सरस्वती महाराज, ब्रह्मचारी रामचेतन महाराज, स्वामी प्रीतमानंद, स्वामी शारदानंद, दंडी स्वामी रामदेवानंद सरस्वती महाराज, दिनेश शास्त्री, स्वामी गणेशानंद,श्याम रामायणी, रावतपुरा सरकार, छोटे सरकार विजय दीक्षित, डॉ. राधाकांत शर्मा, रामावतार पारीक, मनोज शुक्ला, विद्याधर तिवारी, दिवाकर मिश्रा, माधव दुबे, कुलदीप दुबे, हरीश अग्रवाल, आशीष गुप्ता, श्याम रामानी एवं समस्त भक्त परिकर ने आश्रम पहुचकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
What's Your Reaction?