'सजा में छूट पर आदेश की अवहेलना क्यों', अदालत ने यूपी सरकार के सचिव से मांगे अधिकारियों के नाम
शीर्ष अदालत ने कारागार विभाग के प्रधान सचिव को हलफनामा दाखिल कर मुख्यमंत्री सचिवालय के उन अधिकारियों के नाम बताने को भी कहा जिन्होंने एक दोषी की स्थायी छूट याचिका से संबंधित फाइल आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का हवाला देकर स्वीकार नहीं की थी। शीर्ष अदालत ने 13 मई को कहा था कि आदर्श आचार संहिता छूट तय करने में आड़े नहीं आएगी।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार सजा में छूट के हर मामले में उसके आदेशों की अवहेलना क्यों कर रही है। शीर्ष अदालत ने कारागार विभाग के प्रधान सचिव को हलफनामा दाखिल कर मुख्यमंत्री सचिवालय के उन अधिकारियों के नाम बताने को भी कहा जिन्होंने एक दोषी की स्थायी छूट याचिका से संबंधित फाइल आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का हवाला देकर स्वीकार नहीं की थी। शीर्ष अदालत ने 13 मई को कहा था कि आदर्श आचार संहिता छूट तय करने में आड़े नहीं आएगी।
पिछले सप्ताह कोर्ट द्वारा जारी निर्देश के बाद प्रधान सचिव राजेश कुमार सिंह सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कोर्ट के सामने पेश हुए। जस्टिस अभय ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने प्रधान सचिव से छूट याचिकाओं पर फैसला करने के लिए कोर्ट के आदेशों का पालन न करने के बारे में सवाल किए। जस्टिस अभय ओका ने टिप्पणी करते हुए कहा कि 13 मई के आदेश के बावजूद उन्होंने (सीएम सचिवालय) आचार संहिता खत्म होने तक इंतजार किया। वे कोर्ट के आदेशों को कोई महत्व नहीं देते।
प्रधान सचिव ने न्यायालय को यह भी बताया कि 10 अप्रैल के आदेश के बाद विभाग को याचिकाकर्ता कुलदीप की रिहाई का प्रस्ताव 15 जून को जिला मजिस्ट्रेट से प्राप्त हुआ। फाइल 5 जुलाई को संबंधित मंत्री के पास भेजी गई। 11 जुलाई को मुख्यमंत्री को भेजी गई और अंत में 6 अगस्त को राज्यपाल को भेजी गई। कोर्ट ने सवाल किया कि 10 अप्रैल के आदेश के बाद डीएम की रिपोर्ट में दो महीने क्यों लगे। जस्टिस ओका ने कहा, राज्य ने समय विस्तार के लिए आवेदन देने का शिष्टाचार भी नहीं निभाया। ऐसा नहीं चलेगा।
पीठ ने यह भी सवाल किया कि छूट याचिका पर कार्रवाई में हुई देरी के लिए कैदी को कौन मुआवजा देगा। एक अन्य छूट की मांग वाले आवेदन के बारे में सिंह ने न्यायालय को सूचित किया था कि विभाग को प्रस्ताव 16 अप्रैल को प्राप्त हुआ था, लेकिन उस दौरान एमसीसी लागू हो गई थी, जिसके कारण देरी हुई।
जस्टिस ओका ने पूछा, ऐसा क्यों है कि हर मामले में आप हमारे आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं? हर बार जब हम यूपी को समय से पहले रिहाई के मामले पर विचार करने का निर्देश देते हैं, तो आप तय समय के भीतर इसका पालन नहीं करते हैं। इस पर प्रधान सचिव ने बताया कि सभी संबंधित मामलों की फाइलें वर्तमान में सक्षम अधिकारी के पास हैं। अधिकारी अभी बाहर हैं और उनके लौटने के बाद मामले पर फैसला किया जाएगा।
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