संसदीय चुनाव के लिए मतदान शुरू; विपक्षी दलों के सामने कड़ी चुनौती तो दिसानायके को जीत की उम्मीद

श्रीलंका में हो रहे संसदीय चुनाव में 1.71 करोड़ मतदाता 8,800 उम्मीदवारों में से अपनी पसंद चुनेंगे। मतदान सुबह सात बजे से शुरू हो चुका है और शाम चार बजे तक चलेगा। नतीजे शुक्रवार को घोषित किए जा सकते हैं।

Nov 14, 2024 - 09:00
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संसदीय चुनाव के लिए मतदान शुरू; विपक्षी दलों के सामने कड़ी चुनौती तो दिसानायके को जीत की उम्मीद

कोलंबो (आरएनआई) श्रीलंका में संसदीय चुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है। इसके नतीजे कल आने की उम्मीद है। यह चुनाव नए राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा होगी, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के वादे पर चुने गए थे। वहीं, विपक्षी दलों को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। 

55 वर्षीय नेता आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए 225 सदस्यीय विधायिका में दो-तिहाई बहुमत की उम्मीद कर रहे हैं। दरअसल,  श्रीलंका की अर्थव्यवस्था 2022 में चरम पर पहुंच गई थी, जिसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को हटा दिया गया था। इस चुनाव में 1.71 करोड़ मतदाता 8,800 उम्मीदवारों में से अपनी पसंद चुनेंगे। मतदान सुबह सात बजे से शुरू होगा और शाम चार बजे तक चलेगा। नतीजे शुक्रवार को घोषित किए जा सकते हैं।

विश्लेषकों का मानना है कि विपक्षी दलों की स्थिति खराब है और दिसानायके की पार्टी को जीत की उम्मीद है। विपक्षी नेता सजीत प्रेमदासा ने चुनाव प्रचार में कहा कि वे दिसानायके पर कर कटौती के वादे पूरे करने के लिए दबाव डालेंगे।

इस चुनाव में पिछली सरकार से जुड़े 60 से अधिक वरिष्ठ नेता चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है। पिछली सरकार में महिंदा राजपक्षे की पार्टी का श्रीलंका पोडुजना पेरामुना (एसएलपीपी) या पीपुल्स फ्रंट बहुमत था, लेकिन अब वह पार्टी टूट गई है। राजपक्षे के बेटे और पूर्व खेल मंत्री नमल चुनाव लड़ रहे हैं।

पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, गोटबाया राजपक्षे और महिंदा राजपक्षे जैसे दिग्गज नेताओं ने चुनावी मुकाबले से बाहर रहने का फैसला किया है। राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके बहुमत हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनकी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) की अधिकांश नीतियों को संसदीय मंजूरी मिल सके। जेवीप, नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन का नेतृत्व करती है, जिसके संसद में केवल तीन सांसद हैं। 23 सितंबर को पदभार ग्रहण करने के एक दिन बाद राष्ट्रपति दिसानायके ने संसद को भंग कर दिया था। दरअसल, वह अपने एजेंडे का समर्थन और अनुमोदन करने के लिए नई संसद में बहुमत चाहते थे।

दिसानायके सरकार के सामने अब 2.9 अरब डॉलर के कार्यक्रम की तीसरी समीक्षा में राजस्व पर आईएमएफ के लक्ष्यों को पूरा करने की चुनौती है। चुनाव के दो दिन बाद आईएमएफ तीसरी समीक्षा के लिए यहां आएगा। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति का कहना है, 'हम फरवरी तक समीक्षा पूरी कर लेंगे।

दिसानायके ने जोर देकर कहा था कि 14 नवंबर को शासक वर्ग के शासन का युग जो 1948 से 75 साल से अधिक समय तक चला था, औपचारिक रूप से समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा था, 'एनपीपी के सदस्यों को चुनकर हमें एक मजबूत संसद दीजिए।

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