संसद भवन की सुरक्षा में बड़ी चूक, कैसे पहुंचे डंडे, पूर्व सीएम दिग्विजय का CISF सुरक्षा पर सवाल
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने यह बयान संसद मार्ग थाने में दिया है। वे दूसरे कांग्रेसी नेताओं के साथ संसद में हुई धक्का मुक्की को लेकर थाने में शिकायत देने गए थे। उन्होंने सीआईएसएफ की सुरक्षा पर भी सवाल उठा दिया है।
नई दिल्ली (आरएनआई) कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने संसद भवन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाया है। गुरुवार को उन्होंने कहा, संसद भवन में डंडे कैसे पहुंच गए। आखिर भाजपा सांसद, डंडे लेकर कैसे संसद भवन के भीतर आ गए। उन्होंने सीआईएसएफ की सुरक्षा पर भी सवाल उठा दिया है। दिग्विजय सिंह ने कहा, कुछ समय पहले ही संसद भवन की सुरक्षा का जिम्मेदारी सीआईएसएफ को सौंपी गई है। यह बल अभी अनभिज्ञ हैं। पूर्व सीएम के इस बयान के बाद हड़कंप मच गया है। हालांकि अभी तक बल की तरफ से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने यह बयान संसद मार्ग थाने में दिया है। वे दूसरे कांग्रेसी नेताओं के साथ संसद में हुई धक्का मुक्की को लेकर थाने में शिकायत देने गए थे। उन्होंने कहा, भाजपा सांसदों की धक्का मुक्की से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को चोट आई है। दिग्विजय सिंह ने कहा, ये समझ से परे है कि संसद भवन में आखिर डंडे कैसे पहुंच गए। वहां की सुरक्षा तो सीआईएसएफ करती है। इससे पहले भाजपा के सांसद, थाने में अपनी शिकायत दर्ज कराने पहुंचे थे। भाजपा सांसदों की शिकायत में कहा गया है कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जानबूझकर भाजपा सांसद प्रताप सारंगी को धक्कर दिया है। भाजपा के एक दूसरे सांसद को भी चोट लगने की बात कही जा रही है।
लोकतंत्र के सबसे बड़े प्रतीक संसद भवन की सुरक्षा मई से सीआईएसएफ को सौंपी गई थी। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 1,400 कर्मचारियों के हटने के बाद सीआईएसएफ के 3,317 से अधिक जवानों ने संसद भवन की सुरक्षा अपने हाथ में ले ली थी। 13 दिसंबर 2023 को संसद की सुरक्षा में हुई चूक की घटना के बाद एक उच्च स्तरीय बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए थे। सीआरपीएफ डीजी अनीश दयाल सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी। इन सबके बाद ही यह निर्णय लिया गया कि संसद भवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ को सौंप दी जाए। पीडीजी, जो सीआरपीएफ का दस्ता था, वह कोई सामान्य बल नहीं था। इसे सुरक्षा के कड़े एवं उच्च मानकों के आधार पर प्रशिक्षित किया गया था। लगभग 1600 जवानों और अफसरों को यहां से हटा दिया गया।
सीआरपीएफ के पूर्व आईजी कमलकांत शर्मा ने सीआरपीएफ को सभी बलों की 'गंगोत्री' बताया था। इसी बल का एक समूह, जिसे पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप (पीडीजी) कहा जाता है, इसके जवान और अधिकारी, उस वक्त उदास हो गए थे, जब उन्हें संसद की सुरक्षा से हटाया गया। बलिदान और शौर्य के संग जब संसद भवन से पीडीजी जांबाजों की विदाई हुई तो वे भावुक हो उठे थे। किसी का मन उदास था तो कुछ जवानों की आंखें भर आई थीं। करीब डेढ़ दशक से संसद भवन की अचूक सुरक्षा करने वाले 'पीडीजी' को यूं अपनी विदाई रास नहीं आई। पीडीजी के जवानों के मन में कई सवाल उठ रहे थे कि 'बलिदान और शौर्य' के बावजूद, उन्हें इस तरह से क्यों हटाया गया।
कुछ लोग, यह कह रहे हैं कि सीआरपीएफ के लिए ये 'पीस पोस्टिंग' थी, अब वह सहूलियत छीन गई है। ऐसा तो कतई नहीं है। ये बल तो कश्मीर, नक्सल प्रभावित क्षेत्र और उत्तर पूर्व में दशकों से तैनात है। ऐसे में ये बात तो कहीं से भी जायज नहीं है। हम दो तीन दिन से सो नहीं पा रहे थे। मन में एक ही सवाल था। आखिर हमें एकाएक संसद भवन की सुरक्षा से क्यों हटाया गया। गत वर्ष 13 दिसंबर को संसद भवन की सुरक्षा में बड़ी चूक सामने आई थी। उस दिन संसद भवन पर हुए हमले की 22 वीं बरसी थी। कुछ लोग संसद में घुस गए थे। उसमें पीडीजी की क्या चूक थी, ये किसी ने नहीं बताया। घटना की जांच के लिए जो कमेटी बनी थी, उसमें सामने आया था कि फ्रिस्किंग/चेकिंग का काम तो दिल्ली पुलिस का था। पास वेरिफिकेशन भी दिल्ली पुलिस के नियंत्रण में था। जांच रिपोर्ट में सीआरपीएफ की कोई कमी नहीं मिली। इसके बावजूद सरकार ने पीडीजी को हटाने का निर्णय ले लिया।
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