संसद: घुसपैठ पर पांच साल की सजा और पांच लाख जुर्माने का प्रावधान, आव्रजन-विदेशियों से जुड़ा बिल लोकसभा में पेश
लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि विदेशियों से जुड़े मामलों को विनियमित करने के लिए केंद्र सरकार को वीजा व पंजीकरण की जरूरत सरीखी शक्तियां देना जरूरी है। राय ने कहा, राष्ट्रीय सुरक्षा-संप्रभुता के लिए यह जरूरी कानून है। देश में प्रवेश के लिए चार मौजूदा कानूनों में से दो ब्रिटिश काल के हैं। इनमें कई अहम बातें आदेश के रूप में हैं।

नई दिल्ली (आरएनआई) घुसपैठ और फर्जी दस्तावेज के सहारे नागरिकता हासिल करना अब आसान नहीं होगा। सरकार ने विदेशी नागरिकों के प्रवेश और निवास को कड़े नियमों के दायरे में बांधने वाला आव्रजन और विदेशियों विषयक विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया। विधेयक में घुसपैठ के मामले में पांच साल की सजा और पांच लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा, इसमें विदेशियों के प्रवेश या निष्कासन पर आव्रजन अधिकारियों का निर्णय ही अंतिम माना जाएगा।
विधेयक के कानूनी जामा पहनने के बाद इससे जुड़े चार पुराने कानून फॉरनर्स एक्ट 1946, पासपोर्ट एक्ट 1920, रजिस्ट्रेशन ऑफ फॉरनर्स एक्ट 1939 और इमिग्रेशन एक्ट 2000 निरस्त हो जाएंगे। लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि विदेशियों से जुड़े मामलों को विनियमित करने के लिए केंद्र सरकार को वीजा व पंजीकरण की जरूरत सरीखी शक्तियां देना जरूरी है। राय ने कहा, राष्ट्रीय सुरक्षा-संप्रभुता के लिए यह जरूरी कानून है। देश में प्रवेश के लिए चार मौजूदा कानूनों में से दो ब्रिटिश काल के हैं। इनमें कई अहम बातें आदेश के रूप में हैं। वहीं, कई बातें अस्पष्ट हैं। सरकार इन्हें स्पष्ट करने के साथ कानूनी रूप दे रही है। आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025 लाने के लिए संसद के पास विधायी क्षमता का अभाव होने की बात को सिरे से खारिज करते हुए राय ने कहा, सरकार के पास इस विषय पर कानून लाने के लिए संघ सूची के तहत सभी अधिकार हैं। पर्यटन पर इसके प्रभाव के आरोप पर राय ने कहा, पर्यटकों का भारत में स्वागत है, पर यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है कि देश में शांति और संप्रभुता बरकरार रहे।
घुसपैठ पर पहले साधारण सजा और 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान था। इस विधेयक में इसके लिए पांच साल की जेल और पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान है। फर्जी पासपोर्ट या दस्तावेज के जरिये भारत में प्रवेश करने पर यह सजा पांच साल से बढ़ाकर सात साल कर दी गई है। जुर्माने की रकम एक लाख से दस लाख रुपये तक हो सकती है। विधेयक में आव्रजन विभाग को पहले के मुकाबले अधिक शक्तियां दी गई हैं।
विपक्ष ने विधेयक को मौलिक अधिकारों का हनन करने वाला और असांविधानिक बताया। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा, यह संविधान के कई प्रावधानों और कानूनों का उल्लंघन करता है। सरकार इन प्रावधानों से उन लोगों को प्रवेश से वंचित कर सकती है, जो केंद्र सरकार की विचारधारा से सहमत नहीं हैं। कड़े प्रावधानों से पर्यटन को नुकसान की आशंका है। तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा, प्रस्तावित कानून विभिन्न क्षेत्रों में बाहर से प्रतिभाओं के आगमन को रोक सकता है।
विधेयक घुसपैठ के मामले में केंद्र की शक्ति बढ़ाने वाला है। अभी प. बंगाल, झारखंड, असम, बिहार के कुछ हिस्सों व पूर्वोत्तर के कई राज्यों में घुसपैठ बड़ी समस्या है। इनमें झारखंड व बंगाल में विपक्ष की सरकार है। भाजपा अरसे से घुसपैठ को बड़ा सियासी मुद्दा बनाने का प्रयास करती रही है। नए विधेयक के कानूनी जामा पहनने के बाद केंद्र को घुसपैठ के मामले में हस्तक्षेप का अधिकार मिलेगा।
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