'संसद को अंधेरे कमरों में तब्दील किया जा रहा', स्थायी समिति के गठन में देरी पर टीएमसी नेता का केंद्र पर तंज
थिंक-टैंक पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च द्वारा जारी डाटा के अनुसार, 17वीं लोकसभा में 16 फीसदी विधेयक स्थायी समितियों को भेजे गए थे। विधेयकों पर लगभग 50 फीसदी रिपोर्ट 115 दिनों के भीतर जारी किए गए थे। विधेयकों पर रिपोर्ट बनाने के लिए स्थायी समितियों ने औसतन नौ बैठकें कीं।
कोलकाता (आरएनआई) तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओब्रायन ने आरोप लगाया कि 18वीं लोकसभा के गठन के 100 दिन पूरे होने के बाद भी संसदीय स्थायी समितियों का गठन नहीं हो पाया। उन्होंने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि संसद को अब अंधेरे कमरे के रूप में तब्दील किया जा रहा है। बता दें कि इससे पहले 11 सितंबर को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि संसदीय स्थायी समितियों और सलाकार समितियों का गठन जल्द किया जाएगा।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रतिक्रिया देते हुए टीएमसी नेता डेरेक ओब्रायन ने बताया कि 15 वीं लोकसभा में 10 में से सात विधेयक संसद की विभाग संबंधित स्थायी समितियों को भेजे गए थे। पिछली लोकसभा में 10 में से केवल दो ही विधेयकों की जांच हुई थी। उन्होंने आगे कहा, "संसद को एक अंधेरे कमरे में तब्दील किया जा रहा है।
थिंक-टैंक पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च द्वारा जारी डाटा के अनुसार, 17वीं लोकसभा में 16 फीसदी विधेयक स्थायी समितियों को भेजे गए थे। विधेयकों पर लगभग 50 फीसदी रिपोर्ट 115 दिनों के भीतर जारी किए गए थे। विधेयकों पर रिपोर्ट बनाने के लिए स्थायी समितियों ने औसतन नौ बैठकें कीं। डाटा संरक्षण विधेयक के अलावा जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक 2021 पर कम से कम 15 बैठकों में चर्चा हुई। आपराधिक कानूनों में सुधार के लिए तीन विधेयकों की 12 बैठकों में एक साथ जांच की गई।
16वीं लोकसभा में 28 फीसदी विधेयक स्थायी समितियों के पास भेजे गए, जबकि 15वीं लोकसभा में 71 फीसदी विधेयक पैनल के भेजे गए थे। अधिकांश स्थायी समिति लोकसभा के अंतर्गत आते हैं, जबकि कुछ समितियों को राज्यसभा की तरफ से सेवा दी जाती है।
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