'संभल में शाही जामा मस्जिद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के हस्तक्षेप नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को संभल में शाही जामा मस्जिद के बाहरी हिस्से की पुताई (सफेदी) करने का निर्देश दिया गया था। फैसले में कहा गया था कि मस्जिद समिति को इस तरह के काम के लिए खर्च की प्रतिपूर्ति करनी चाहिए। कोर्ट ने उस याचिका को भी नकार दिया, जिसमें कहा गया था कि हाईकोर्ट ने एएसआई को मस्जिद समिति से खर्च वसूलने की अनुमति देकर कानूनी त्रुटि की है।
उच्च न्यायालय ने 12 मार्च को एएसआई को एक सप्ताह के भीतर मस्जिद की व्हाइटवॉश (सफेदी) करने का काम पूरा करने को कहा था। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने आदेश दिया, 'हम मौजूदा याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। इसे खारिज किया जाता है।' अपीलकर्ता सतीश कुमार अग्रवाल की ओर से पेश हुए वकील बरुण सिन्हा ने उच्च न्यायालय के आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि एएसआई को गलत तरीके से मस्जिद की दीवार की सफेदी करने को कहा गया था।
अपने आदेश में हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा था, 'एएसआई व्हाइटवॉश का काम करेगा और आज से एक सप्ताह के भीतर इसे पूरा करेगा। इसके अलावा दीवारों पर कोई अतिरिक्त रोशनी नहीं लगाई जाएगी, क्योंकि इससे स्मारकों को नुकसान हो सकता है, लेकिन कथित मस्जिद के बाहरी क्षेत्र में उजाले के लिए फोकस लाइट, एलईडी लाइट का इस्तेमाल किया जा सकता है।'
उन्होंने कहा था, 'सफेदी में होने वाला खर्च मस्जिद समिति द्वारा वहन किया जाएगा और काम पूरा होने के एक सप्ताह के भीतर इसकी प्रतिपूर्ति की जाएगी।' हाईकोर्ट ने पहले एएसआई की ओर से पेश होने वाले वकील को निर्देश दिया था कि वे इस बारे में ऐसे कथन लेकर आएं कि मस्जिद की बाहरी दीवारों की सफेदी से क्या नुकसान होगा? इससे पहले मुगलकालीन मस्जिद का कोर्ट के आदेश पर सर्वेक्षण किया गया था। बाद में यहां पिछले साल संभल में हिंसा हुई थी।
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